“सिर तन से जुदा” नारा लगाने के आरोपियों को राहत देने से इनकार


प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर में “आई लव मोहम्मद” की घटना के समर्थन में बरेली में एक जुलूस के दौरान “सिर तन से जुदा” करने संबंधी नारा लगाने वाले आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है. इस घटना के बाद पुलिस ने बरेली जिले के थाना कैंट में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.
न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले में प्राथमिकी रद्द करने के लिए गौहर खान और शकीब जमाल की रिट याचिका सोमवार को खारिज कर दी. इस याचिका में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का पुलिस को निर्देश देने का भी अदालत से अनुरोध किया गया था. तथ्यों के मुताबिक, कानपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के मामले में पुलिस की कार्रवाई के विरोधस्वरूप बरेली में 26 सितंबर को एक जुलूस का आयोजन किया गया था, जिसमें उक्त नारा लगाया गया था.





