उत्तराखंडवासियों से राहुल का वादा…..10 दिनों तक जिलों में घूमुंगा
देहरादून । 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अब बीजेपी के फॉर्मूले से ही उस मात देने की तैयारी में है। राहुल गांधी और उनकी टीम बड़े राज्यों के अलावा छोटे राज्यों पर भी फोकस कर रही है। पिछले पांच साल में कांग्रेस की रणनीति में यह बड़ा बदलाव है। कांग्रेस विपक्षी बीजेपी के मजबूत किले में मजबूती से विरोध करती नजर आएगी। बीजेपी के विरोध के लिए राहुल गांधी नरेंद्र मोदी के स्टाइल में नजर आ रहे हैं। उन्होंने उत्तराखंड में पदयात्रा करने का ऐलान किया है, जहां लोकसभा की पांच सीटें हैं। पिछले दो आम चुनावों में देवभूमि की पांचों सीट भाजपा के खाते में रही है। बीजेपी इतिहास बनाते हुए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव भी जीत चुकी है। बीजेपी के वर्चस्व को खत्म करने के लिए कांग्रेस ने जिन मुद्दों को उछाला है, वह उत्तराखंड के हिसाब से सटीक भी है।
पदयात्रा के बाद कर्नाटक की जीत से कांग्रेस को चुनाव जीतने का फॉर्मूला मिल गया है। कांग्रेस उत्तराखंड में पदयात्रा करेगी। राहुल गांधी ने वादा किया है कि वह भी 10 दिनों तक पहाड़ी राज्य के जिलों में घूमने वाले हैं। उनके साथ पदयात्रा में प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कांग्रेस के स्टार चेहरे भी शामिल होने वाले हैं। इस दौरान राहुल गांधी और उनकी टीम अग्निवीर योजना, भर्ती घोटाला और उत्तराखंड से युवाओं का पलायन का मुद्दा जोर-शोर से उठाएगी। कांग्रेस का कहना है कि अग्निवीर योजना ने युवाओं के सपने तोड़े हैं। कांग्रेस की रणनीतिकारों को लगता है कि अग्निवीर योजना से पार्टी आसानी से पहाड़ी युवाओं से जुड़ जाएगी। यह काफी हद तक कारगर साबित हो सकती है।2021 में रक्षा मंत्रालय ने संसद को जानकारी दी थी कि सेना में उत्तराखंड की हिस्सेदारी पांच फीसदी है। तब 68,997 जवान सिर्फ सेना में थे। अनुमान है कि अब इनकी संख्या 72000 के पार हो गई है। अर्धसैनिक बलों में भी उत्तराखंड के युवाओं की अच्छी भागीदारी है। राज्य में करीब 1 लाख 70 हजार रिटायर्ड फौजी हैं। सैन्य विधवाओं की तादाद भी करीब 50 हजार है। यूपी, हरियाणा, पंजाब, बिहार और राजस्थान की तरह उत्तराखंडी युवाओं में भी सेना में भर्ती होने का क्रेज है।
पलायन का मु्द्दा उत्तराखंड का दशकों पुराना मुद्दा है। पोस्टल इकोनॉमी वाले राज्य के लिए बुरी खबर यह रही है कि यहां से पलायन कभी रुका ही नहीं। ग्रामीण विकास मंत्रालय और पलायन निवारण आयोग ने हालिया रिपोर्ट में बताया कि 2018 से 2022 के बीच उत्तराखंड के गांवों से 3.3 लाख से अधिक लोगों ने देश के अन्य राज्यों में पलायन किया। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण रोजगार की कमी ही रही है। उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग अपने स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं दे पाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सैनिक परिवारों को लुभाने के लिए वन रैंक, वन पेंशन का वादा किया था। पलायन रोकने के लिए पर्यटन को मंत्र बताकर नरेंद्र मोदी ने 9 साल पहले 55.3 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।