लाल आतंक के विरुद्ध जारी है अभियान, खत्म हो रहा नक्सलवाद – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर/अहमदाबाद. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बीजापुर में सुरक्षाबलों की नक्सल विरोधी कार्रवाई में मिली बड़ी सफलता पर बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस की डीआरजी (District Reserve Guard) और एसटीएफ (Special Task Force) की संयुक्त टीम द्वारा नक्सलियों के साथ चल रही मुठभेड़ में अब तक छह नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए हैं. यह लाल आतंक के समूल नाश की दिशा में सुरक्षाबलों के जवानों की बड़ी सफलता है.

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में 31 मार्च 2026 तक देश और प्रदेश से नक्सलवाद को समाप्त करने का जो संकल्प लिया गया है, उसकी दिशा में यह एक और निर्णायक कदम है. छत्तीसगढ़ सरकार इस मिशन को पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रही है.

छत्तीसग­ढ़ में मार्च 2026 की समय सीमा से पहले नक्सलवाद खत्म हो जाने की है संभावना: साय

छत्तीसग­ढ़ में केंद्र द्वारा निर्धारित की गयी मार्च 2026 की समय सीमा से पहले ही नक्सलवाद के खत्म हो जाने की संभावना व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंगलवार को गुजरात के उद्योगपतियों से बिना किसी डर के राज्य में निवेश करने की अपील की.

गुजरात शिखर सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन यहां ‘छत्तीसग­ढ़ निवेशक कनेक्ट’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साय ने कहा कि नक्सलवाद ने विपुल संभावनाओं वाले खनिज समृद्ध राज्य (छत्तीसग­ढ़) में औद्योगिक विकास को अवरुद्ध कर दिया है. कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में साय ने बताया कि गुजरात की आठ कंपनियों ने छत्तीसग­ढ़ सरकार के साथ राज्य में 33,000 करोड़ रुपये निवेश करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. निवेशकों को संबोधित करते हुए साय ने कहा कि छत्तीसग­ढ़ नक्सलवाद के कारण पीछे रह गया.

साय ने अपने संबोधन में कहा, ”छत्तीसग­ढ़ खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है और वहां औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं. हालांकि, नक्सलवाद के कारण विकास रुका हुआ है. जनवरी 2024 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा है.” उन्होंने कहा, ”हम अपने मिशन में कामयाब हो रहे हैं और हमने हाल में कई प्रमुख माओवादियों को भी मार गिराया गया है. मुझे लगता है कि केंद्र द्वारा तय समय सीमा से पहले ही नक्सलवाद खत्म हो सकता है. मैं गुजरात के निवेशकों से छत्तीसग­ढ़ में अपना कारोबार शुरू करने की अपील करता हूं. हमारा उद्योग विभाग आपको हर संभव मदद देगा.”

उन्होंने कहा कि छत्तीसग­ढ़ को पिछले 10 महीनों में सात लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं और निवेश आर्किषत करने के लिए विभिन्न राज्यों में ऐसे आयोजन किए जा रहे हैं. साय ने पत्रकारों से कहा कि छत्तीसग­ढ़ के विकास में नक्सलवाद सबसे बड़ी बाधा थी और अब गुजरात के बेटे शाह एवं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस पर ध्यान दिया जा रहा है. साय ने कहा, ”हमें विश्वास है कि नक्सलवाद के खात्मे के बाद छत्तीसग­ढ़ नई ऊंचाइयों को छुएगा. हमारी पुनर्वास नीति की बदौलत कई नक्सलियों ने हथियार छोड़ दिए हैं. हम बदले में उन्हें नकद राशि, जमीन और घर मुहैया कराते हैं. गांवों को पानी, बिजली और राशन जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं.”

हिंसा और भय के रास्ते को छोड़ आत्म सुधार की राह पर पुनर्वासित माओवादी
बरसों तक जंगलों की हिंसा और भय की जिंदगी को अलविदा कह चुके 30 पुनर्वास कर चुके माओवादियों के लिए छत्तीसगढ़ में अब शांति की नई सुबह हो रही है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की संवेदनशील सरकार ने पुनर्वास की एक अनूठी मिसाल कायम करते हुए इन पूर्व माओवादियों को आजीविका की राह के साथ ही मानसिक स्थिरता भी प्रदान करने का कार्य कर रही है. छत्तीसगढ़ शासन के प्रयासों से आध्यात्मिक गुरु रवि शंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग अब इन लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में जुटी है.

सशस्त्र संघर्ष के साए में जीने वाले इन व्यक्तियों के मन में गहरा तनाव और नकारात्मकता घर कर गई थी, लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षण शिविरों में वे अब योगासन, प्राणायाम और लयबद्ध सुदर्शन क्रिया की शक्तिशाली श्वास तकनीक का अभ्यास कर रहे हैं. यह तकनीक तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने के साथ-साथ भावनात्मक स्थिरता और मानसिक स्पष्टता प्रदान करती है. प्रशिक्षक बताते हैं कि यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि क्रोध के चक्र से मुक्ति और आत्म-सम्मान की पुनर्स्थापना की एक गहन प्रक्रिया है.

उल्लेखनीय है कि बीजापुर जिले से आत्मसमर्पण करने वाले ये 30 पूर्व माओवादी वर्तमान में जगदलपुर के आड़ावाल लाइवलीहुड कॉलेज में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत तीन महीने का व्यावसायिक प्रशिक्षण ले रहे हैं. ये पूर्व माओवादी गेस्ट सर्विस एसोसिएट का प्रशिक्षण लेकर ग्राहक संवाद, होटल मैनेजमेंट और सॉफ्ट स्किल्स सीख रहे हैं. सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है इन्हें बस्तर के होमस्टे, रिसॉर्ट्स और टूरिस्ट स्पॉट्स में आत्मनिर्भर बनाना, जिससे ये बस्तर के पर्यटन को नई उड़ान दे सकें.

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