सीईईडब्ल्यू के डॉ. अरुणाभा घोष COP30 के लिए दक्षिण एशिया के दूत नियुक्त

नई दिल्ली । काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP30) के लिए दक्षिण एशिया का विशेष दूत नियुक्त किया गया है। यह महत्वपूर्ण जलवायु सम्मेलन इस साल नवंबर में बेलेम, ब्राजील में आयोजित होगा।

डॉ. घोष उन आठ अंतरराष्ट्रीय दूतों में शामिल हैं जिन्हें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नामित किया गया है। इस सूची में न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न, मेक्सिको की पूर्व विदेश सचिव पैट्रिशिया एस्पिनोसा, फ्रांस की जलवायु दूत लॉरेंस ट्यूबियाना, और IRENA के पहले प्रमुख अदनान अमीन जैसे प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं।

दक्षिण एशिया की आवाज को मिलेगी वैश्विक मंच पर मजबूती
COP30 में बतौर दूत, डॉ. घोष की भूमिका होगी कि वे दक्षिण एशिया की जलवायु प्राथमिकताओं और दृष्टिकोणों को दुनिया के सामने रखें और नीतिगत संवाद को समावेशी व प्रभावशाली बनाने में सहयोग करें।

डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा “दुनिया तेजी से जलवायु संकट के निर्णायक बिंदु की ओर बढ़ रही है। हमें टॉप-डाउन नीतियों से लेकर बॉटम-अप रेजिलिएंस तक एक नया मॉडल गढ़ना होगा। COP30 को ऐसे मंच में बदलने की ज़रूरत है जहाँ ग्लोबल साउथ सिर्फ सुना न जाए, बल्कि उसके अनूठे जलवायु नेतृत्व को समर्थन और मान्यता भी मिले।”

उन्होंने विकास, हरित प्रौद्योगिकी, वित्तीय स्थिरता और रोजगार सृजन को जोड़ने वाले ठोस समाधान अपनाने की जरूरत पर बल दिया।

क्या है COP30?
COP30 (Conference of Parties), संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित वार्षिक जलवायु सम्मेलन है, जो इस वर्ष ब्राजील के बेलेम शहर में नवंबर 2025 में आयोजित होगा। यह सम्मेलन उत्सर्जन कटौती, जलवायु न्याय और सतत विकास के लक्ष्यों पर वैश्विक सहमति बनाने का प्रमुख मंच है।

दूतों की भूमिका

COP30 के सभी दूत स्वैच्छिक आधार पर कार्य करेंगे। वे अपने-अपने क्षेत्रों की आवाज और विचारों को वैश्विक मंच तक पहुंचाने में सेतु का कार्य करेंगे, जिससे जलवायु नीति-निर्माण अधिक समावेशी और संतुलित हो सके।

डॉ. अरुणाभा घोष की नियुक्ति भारत और दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और नीतिगत उपलब्धि है। इससे न केवल ग्लोबल साउथ की हिस्सेदारी बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक जलवायु चर्चाओं में विकासशील देशों की भूमिका को और मजबूती मिलेगी। COP30 अब सिर्फ एक सम्मेलन नहीं, बल्कि नए जलवायु नेतृत्व के उभार का प्रतीक बनता जा रहा है।

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