आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरु
मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक 6 जून से शुरू हो चुकी है। बैठक 8 जून को समाप्त होगी और गुरुवार को बैठक में लिए फैसलों का ऐलान होगा। अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था। आर्थिक जानकारों का मानना है कि गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में हो रही मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कोई परिवर्तन नहीं करेगा। रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा जाएगा।
रेपो रेट में कमी की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं हैं। अक्टूबर 2023 में ही ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। मई 2022 के बाद आरबीआई ने महंगाई को काबू करने के लिए कई बार ब्याज दरों में इजाफा किया था। लेकिन अब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित रिटेल महंगाई दर के अप्रैल में 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर आने के बाद आरबीआई और मोदी सरकार पर दबाव कम हुआ है।
अर्थशास्त्री का कहना है कि महंगाई के आरबीआई की निर्धारित सीमा के भीतर आ जाने की संभावना है। वित्त वर्ष 2024 में औसतन यह 5.0 फीसदी रह सकती है। वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में तब इसके औसतन 4.5 फीसदी रहने के अनुमान हैं। महंगाई दर में घटत-बढ़त मानसून पर भी निर्भर होगी। आरबीआई एमपीसी की इस बैठक में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगी।
वहीं एक अन्य अर्थशास्त्री का कहना है, निकट भविष्य में रेपो रेट में वृद्धि नहीं होगी। हालांकि, वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में आरबीआई रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिजर्व बैंक का रेपो रेट बढ़ाने का मकसद केवल महंगाई रोकना ही नहीं होता है। इसके माध्यम से वह सिस्टम में बेहतर लिक्विडिटी भी सुनिश्चित करता है। अब केंद्रीय बैंक के 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने के बाद लिक्विडिटी के मामले में त्वरित रिलीफ मिल गई है।
कुछ आर्थिक जानकारों का कहना है कि भविष्य में रेपो रेट में किसी भी तरह का बदलाव उस समय की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। अगर महंगाई में इजाफा होता है, तब रिजर्व बैंक मंहगाई को रोकने के लिए कड़े कदम उठा सकता है। महंगाई से राहत मिलने पर ब्याज दरों में भी कमी हो सकती है।