सामाजिक व्यवस्थापन सर्वे के लिए अनुबंधित एजेंसी वन फाउंडेशन के ऊपर लगा गंभीर आरोप

राजनांदगांव। मामला एडीबी थर्ड लोन अंतर्गत निर्माणाधीन छुईखदान-दनिया मार्ग में सामाजिक पुनर्वास एवं व्यवस्थापन सर्वे कार्य को करने वाले एक निजी एजेंसी वन फाऊंडेशन के ऊपर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं।
मामला चर्चित छुईखदान-दनिया मार्ग निर्माण के जद में आने वाले अधोसंरचना, जिन्हें तोड़ा गया है या तोड़ा जाना है से संबंधित है। इस बारे में एडीबी प्रोजेक्ट प्रबंधक ने अपने एक लिखित जवाब में बताया है कि उक्त मार्ग के निर्माण के लिए एक निजी एजेंसी वन फाउंडेशन को सर्वे कार्य हेतु निविदा प्रक्रिया अंतर्गत अनुबंधित किया गया था। उक्त एजेंसी के टीम के द्वारा रोड निर्माण के लिए वर्क ऑर्डर जारी करने के लगभग 2 साल पूर्व ही जनवरी 2018 में ही सामाजिक पुनर्वास एवं व्यवस्थापन हेतु सर्वे कर लिया गया था।
इस संबंध में प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि सर्वे करने वाली टीम के द्वारा कब सर्वे हेतु उनकी संपत्ति का मापांकन एवं मूल्यांकन घर आकर किया गया है ये पता ही नहीं है, बल्कि ये बोलकर आधार कार्ड और बैंक पास बुक की फोटो कॉपी लिया गया कि आपका मकान रोड चौड़ीकरण की जद में आ गया तो रूपये डाला जाएगा। वन फाउंडेशन के टीम लीडर के रुप में वन फाउंडेशन के सचिव सुशील ओझा नामक व्यक्ति द्वारा मापांकन और मूल्यांकन की गणना की गई, किंतु किसी भी प्रभावित को वो गणना पत्र न दिखाया गया, न दिया गया। रोड में प्रभावित मकान मालिकों को आज तक ये नहीं पता कि उन्हें किस दर में कितने मलबे की सहायता राशि (मुआवजा) दिया गया है। उक्त गणना पत्र सभी प्रभावितों को व्यक्तिगत रुप से दिया जाना था, जो आज तक उक्त अनुबंधित एजेंसी वन फाउन्डेशन के द्वारा किसी भी प्रभावित को नहीं दिया गया है। इस संबंध में ।क्ठ प्रोजेक्ट के अधिकारियों के द्वारा गोल-मोल जवाब दिया जाता रहा है।
इस बारे में पिछले महा दनिया से पैदल चल कर ज्ञापन सौंपने वाले प्रभावित ग्रामीणों ने बताया कि ज्ञापन में हमारे द्वारा गणना पत्र दिलाने का आग्रह किया गया था, जिस पर छुईखदान एसडीएम रेणुका रात्रे द्वारा 9 नवंबर की त्रिपक्षीय बैठक में एडीबी प्रोजेक्ट की ओर से बैठक में सम्मिलित इंजीनियर फारूक और सर्वे करने वाली एजेंसी वन फाउन्डेशन के सुशील ओझा को स्पष्ट आदेश दिए कि 12 नवंबर तक सभी प्रभावितों को उनका गणना पत्र व्यक्तिगत रुप से दे दिया जाएए जिस पर एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारी और सर्वे एजेंसी के ओझा ने सहमति व्यक्त किए, किंतु लगभग एक माह बीतने को है, किसी भी प्रभावित को अब तक गणना पत्र नहीं मिला है।
एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी (एसडीएम) के आदेशों की ऐसी खुली अवेहलना का कोई दूसरा उदाहरण अब तक देखने को नहीं मिला। गड़बड़ी उजागर होने के भय के कारण प्रभावितों को गणना पत्र नहीं दिया जा रहा है, सर्वे एजेंसी के द्वारा। इधर गणना पत्र नहीं मिलने के कारण जनाक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। ग्रामीण सर्वे एजेन्सी पर कार्यवाही किए जाने और गणना पत्र का वितरण शीघ्र कराने की मांग किए हैं।
इस संबंध में एडीबी प्रोजेक्ट प्रबंधक ने बताया कि 9 हितग्राहियों के लिखित आवेदन पुनः मूल्यांकन-मूल्याकंन के लिए प्राप्त हुए हैं, जिसकी जांच के लिए एक तकनीकी जांच दल गठन कर दिया गया है, जो शीघ्र ही जांच कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा।

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