बलरामपुर में दूसरे दिन भी हिंसा, जान बचाकर भागे एएसपी और पुलिसकर्मी…

बलरामपुर । छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में पुलिस हिरासत में एक युवक की आत्महत्या के बाद भड़का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। युवक गुरुचरण मंडल की थाने के बाथरूम में फांसी लगाने से मौत के बाद, स्थानीय लोगों में गुस्सा फैला हुआ है। गुरुवार को सैकड़ों लोगों ने थाने पर हमला किया था, और शुक्रवार को पोस्टमार्टम के दौरान भीड़ ने फिर हिंसा का प्रयास किया।

भीड़ ने पोस्टमार्टम प्रक्रिया के दौरान एडिशनल एसपी पर लाठी और पत्थरों से हमला कर दिया, जिससे एएसपी और पुलिसकर्मियों को वहां से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। आक्रोशित भीड़ ने मृतक के शव को जबरन गांव ले जाने का प्रयास भी किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया। बलरामपुर में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिसबल तैनात कर दिया गया है और आसपास के जिलों से भी बल मंगवाया गया है।

थाना प्रभारी सस्पेंड, लापरवाही का आरोप
घटना के बाद, सरगुजा आईजी अंकित गर्ग ने थाने के प्रभारी प्रमोद रूसिया और एक अन्य आरक्षक अजय यादव को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया है। मृतक युवक स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी था और पुलिस पिछले 10-15 दिनों से उससे पूछताछ कर रही थी। पुलिस के अनुसार, मृतक के पारिवारिक मामले की वजह से उसे थाने में बुलाया गया था, लेकिन गुरुवार को उसकी फांसी पर झूलती लाश थाने में मिली।

हिंसा और राजनीतिक विवाद
गुरुचरण मंडल की मौत के बाद बलरामपुर में उग्र प्रदर्शन शुरू हो गए। घटना की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग थाने के बाहर जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने पुलिस पर पत्थर फेंके। पुलिसकर्मियों को थाने के अंदर छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी।

आज भी जिला अस्पताल के बाहर भी लोगों ने जमकर हंगामा मचाया और मृतक के परिवार जनों को नौकरी एवं मुआवजा देने की मांग की। साथ ही पुलिस थाने में पदस्थ अन्य पुलिस कर्मियों पर भी कार्रवाई की मांग की। समाज के लोगों ने अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर एसडीएम अमित श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा है।

घटना के बाद राजनीति तेज
इस घटना के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि गुरुचरण मंडल की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या हो सकती है। पीसीसी प्रमुख ने घटना को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि कानून व्यवस्था प्रदेश में चरमरा गई है और कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए आठ सदस्यीय टीम गठित की है।

कांग्रेस की जांच समिति
कांग्रेस की ओर से गठित आठ सदस्यीय समिति में डॉ. अजय तिर्की को संयोजक बनाया गया है, जबकि सफी अहमद, राजेन्द्र तिवारी, के. पी. सिंह, मधु गुप्ता, लाल साय, सीमा सोनी और दिनेश यादव को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह समिति घटनास्थल का दौरा करेगी और जनता के गुस्से और पुलिस की भूमिका की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

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