भाजपा प्रवक्ता का सवाल : ढेबर के कार्यकाल पर चुप क्यों हैं कांग्रेस नेता?
रायपुर । भाजपा प्रवक्ता संदीप शर्मा ने रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आंतरिक कलह और महापौर एजाज ढेबर की गैर मौजूदगी को लेकर कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं। शर्मा ने कहा कि चुनावी अभियान में कांग्रेस के कई नेता सक्रिय नहीं दिख रहे हैं, और पार्टी नेतृत्व ने उन चेहरों को अभियान से दूर कर रखा है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि ढेबर के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार पर कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा और अन्य कांग्रेस नेता क्यों चुप हैं।
“ढेबर के कार्यकाल में नगर निगम बना भ्रष्टाचार का केंद्र”
भाजपा प्रवक्ता संदीप शर्मा ने कहा कि रायपुर नगर निगम में कांग्रेस 15 वर्षों से काबिज है और पिछले पाँच वर्षों में राज्य सरकार भी कांग्रेस की रही। बावजूद इसके, उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम में विकास कार्यों के बजाय भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा दिया गया। शर्मा ने यूनीपोल घोटाला, स्मार्ट सिटी फंड के दुरुपयोग और बिना टेंडर के किए गए कार्यों का उदाहरण देते हुए कहा कि ढेबर के कार्यकाल में नगर निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया था।
चुनावी अभियान से दूर क्यों हैं महापौर ढेबर?
संदीप शर्मा ने महापौर ढेबर की चुनावी अभियान से दूरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस ने उन्हें इस पूरे चुनाव में हाशिए पर धकेल दिया है। न तो ढेबर चुनाव प्रचार में नजर आ रहे हैं और न ही कांग्रेस के कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी है। शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के प्रत्याशी आकाश शर्मा भी अपने प्रचार में ढेबर का नाम तक लेने से बच रहे हैं, जो कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी और अविश्वास को उजागर करता है।
“भाजपा के कार्यकाल की बातें, लेकिन ढेबर के कार्यकाल पर चुप्पी”
संदीप शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता अपनी वार्ताओं में भाजपा के कार्यकाल की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन ढेबर के कार्यकाल के मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने 15 वर्षों के कार्यकाल में जनता के लिए किए गए वादों को पूरा करने के बजाय घोटालों और भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित किया है।
“कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है”
शर्मा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी इस हद तक पहुँच चुकी है कि पार्टी के ही नेता एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर कांग्रेस प्रत्याशी अपने ही महापौर का नाम लेने से क्यों कतरा रहे हैं और क्या यह कांग्रेस की अंदरूनी कलह का संकेत नहीं है?