निकाय और पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस पर घोटालों का साया…

छत्तीसगढ़ में बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस सरकार की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल उठे हैं। शराब घोटाला, महादेव सट्टा एप, सीजीपीएससी घोटाला, खाद्यान्न घोटाला और कोयला घोटाला जैसे मुद्दे प्रमुख रूप से उभर कर सामने आए। इन घोटालों ने न केवल सरकार की साख पर सवाल खड़े किए, बल्कि राज्य की राजनीतिक फिजा को भी बदल दिया। इन घटनाओं का असर 2023 के विधानसभा चुनावों में स्पष्ट रूप से देखा गया, जब कांग्रेस को विपक्षी दलों से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा और जनता के बीच उसकी लोकप्रियता में गिरावट आई।

2024 के लोकसभा चुनावों पर असर
2024 के लोकसभा चुनाव में भी इन घोटालों की गूंज सुनाई दी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत अन्य विपक्षी दलों ने इन घोटालों को प्रमुख मुद्दा बनाकर कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला। नतीजतन, कांग्रेस को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। खासतौर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं ने सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में रहते हुए जनता के भरोसे का दुरुपयोग किया।

2025 के नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव: चुनौतियां बरकरार
अब 2025 की शुरुआत में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे। इन चुनावों में स्थानीय मुद्दे प्रमुख भूमिका निभाते हैं, और जनता अक्सर स्थानीय प्रशासन की नीतियों के आधार पर अपना फैसला सुनाती है।

विपक्ष ने पहले ही इन चुनावों के लिए कमर कस ली है। भाजपा और अन्य दल इन घोटालों को जनता के सामने प्रमुख मुद्दे के रूप में पेश कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने हाल ही में एक रैली में कहा, “कांग्रेस सरकार ने राज्य को भ्रष्टाचार का केंद्र बना दिया है। जनता के पैसे का दुरुपयोग किया गया है। अब वक्त आ गया है कि इनसे जवाब मांगा जाए।”

कांग्रेस की रणनीति और चुनौतियां
कांग्रेस ने इन घोटालों के आरोपों को बार-बार खारिज किया है और इसे विपक्ष की साजिश करार दिया है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उनकी सरकार ने विकास कार्यों को प्राथमिकता दी है और जनता के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम जनता के बीच अपनी उपलब्धियों को लेकर जाएंगे और विपक्ष के झूठे प्रचार का जवाब देंगे।”

हालांकि, जमीनी स्तर पर कांग्रेस को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की छवि भी निर्णायक भूमिका निभाती है। यदि घोटालों के कारण जनता में असंतोष बना रहा, तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मतदाताओं की भूमिका
इन चुनावों में मतदाताओं का मिजाज निर्णायक साबित होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खाद्यान्न घोटाले और सीजीपीएससी घोटाले के मुद्दे प्रमुख हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में महादेव सट्टा एप और शराब घोटाले जैसे विषय मतदाताओं के फैसले को प्रभावित कर सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के लिए 2025 के नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक बड़ा मोड़ साबित हो सकते हैं। घोटालों की छाया से बाहर निकलकर जनता के बीच भरोसा जीतना पार्टी के लिए एक कठिन कार्य होगा। विपक्ष ने इन मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है, जिससे चुनावी मुकाबला और भी रोचक हो गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस अपनी रणनीति में क्या बदलाव करती है और जनता किसे अपना विश्वास सौंपती है।

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