प्राकृतिक सौंदर्य व धार्मिक आस्था का अनूठा संगम है अमृतधारा जलप्रपात
एमसीबी । छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में हसदेव नदी पर स्थित अमृतधारा जलप्रपात अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह 90 फुट (27.4 मीटर) ऊँचा और 15 फीट चौड़ा जलप्रपात पर्यटकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
प्राकृतिक और धार्मिक महत्व
अमृतधारा जलप्रपात के पास स्थित भगवान शिव का प्राचीन मंदिर इस स्थल के धार्मिक महत्व को बढ़ाता है। सावन के महीने में यहां शिव भक्तों का तांता लगता है, जो जलप्रपात की रमणीयता और मंदिर की पवित्रता का अनुभव करने के लिए आते हैं।
सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता
यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आता है और यहां पंडो, गोंड़, बैगा, चेरवा जैसी जनजातियां निवास करती हैं। उनकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं और प्राकृतिक सौंदर्य इस स्थल को और अधिक आकर्षक बनाते हैं। बारिश के मौसम में जलप्रपात का तेज बहाव और आसपास की हरियाली इसे और भी मनमोहक बना देती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
अमृतधारा जलप्रपात का नाम कोरिया रियासत के राजा द्वारा रखा गया था। यह जलप्रपात जनजातीय गांवों के पास स्थित है, जो वर्षों से इस क्षेत्र का हिस्सा रहे हैं।
पर्यटन के लिए आदर्श स्थल
रायपुर से करीब 300 किलोमीटर दूर और मनेंद्रगढ़ नेशनल हाइवे के पास स्थित यह स्थल पर्यटकों के लिए आसानी से पहुँचने योग्य है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के पर्यटकों के लिए यह एक प्रमुख आकर्षण है। सावन और बारिश के दौरान, जलप्रपात का दृश्य ऐसा होता है कि लोग इसे अपने कैमरों में कैद करना चाहते हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान
अमृतधारा जलप्रपात न केवल एक प्राकृतिक और धार्मिक स्थल है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का भी स्रोत है। यहां आने वाले पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
अमृतधारा जलप्रपात अपनी अनोखी सुंदरता, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक विविधता के कारण छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह स्थान शहर की हलचल से दूर, प्रकृति और शांति का अनुभव करने के लिए आदर्श है।