पूर्व विधायक अरुण वोरा को RPF ने किया गिरफ्तार

दुर्ग रेलवे स्टेशन के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन

दुर्ग । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अरुण वोरा को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने बुधवार को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी 13 सितंबर 2023 को हुए रेल रोको आंदोलन के दौरान रेलवे यातायात बाधित करने के आरोप में रेलवे अधिनियम की धारा 174 के तहत की गई।

रेल रोको आंदोलन का पृष्ठभूमि
13 सितंबर को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के आह्वान पर देशभर में रेल रोको आंदोलन आयोजित किया गया था। इस आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन पर जनता की बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी और रेलवे सेवाओं में गिरावट का आरोप लगाया गया। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था और दरभंगा एक्सप्रेस को रोककर रेलवे ट्रैक पर बैठे थे।

प्रदर्शनकारियों ने स्टेशन पर सुविधाओं की कमी, एस्केलेटर और लिफ्ट जैसी सेवाओं के लंबे समय से खराब रहने, और 2022 में प्रस्तावित स्टेशन आधुनिकीकरण परियोजना में हो रही देरी जैसे मुद्दे उठाए।

गिरफ्तारी और विरोध प्रदर्शन
आज सुबह 11 बजे रेलवे सुरक्षा बल ने अरुण वोरा को दुर्ग रेलवे स्टेशन स्थित रेलवे पोस्ट पर बुलाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद आरपीएफ पोस्ट में उन्होंने बयान दर्ज कराया। अरुण वोरा ने इसे जनता की आवाज दबाने का प्रयास बताते हुए कहा: “यह गिरफ्तारी जनता के अधिकारों के लिए उठाई जा रही आवाज को दबाने की साजिश है। मैं हर बार जनहित के मुद्दों के लिए खड़ा रहूंगा।”

कुछ घंटों बाद उन्हें मुचलके पर रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया और इसे भाजपा सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश बताया।

कांग्रेस का आरोप और अरुण वोरा का बयान
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस घटना को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि “भाजपा सरकार विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं को डराने के लिए प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग कर रही है।”

रिहाई के बाद अरुण वोरा ने कहा: “जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष करना मेरा अधिकार और कर्तव्य है। भाजपा सरकार चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, सच्चाई को बदला नहीं जा सकता। मैं हर कठिनाई का सामना करूंगा, लेकिन जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा खड़ा रहूंगा।”

अरुण वोरा और कांग्रेस ने इस मामले को लेकर जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल उनकी नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो अपने अधिकारों और बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है।

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