भाजपा के इशारे पर काम कर रहे सारंगढ़ कलेक्टर : कांग्रेस

सारंगढ़ । सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में विकास कार्यों के लोकार्पण और भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस ने भाजपा और जिला प्रशासन पर तीखे आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि जनप्रतिनिधियों का अपमान किया जा रहा है और जिला प्रशासन भाजपा के दबाव में काम कर रहा है।

क्या है मामला?
मामला सोमवार को हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कार्यक्रम का है, जिसमें जिले के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमि पूजन किया गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस सरकारी कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, विशेष रूप से नगर पालिका अध्यक्ष सोनी अजय बंजारे और दो विधायकों, को न तो आमंत्रित किया गया और न ही शिलालेखों में उनके नाम शामिल किए गए।

कांग्रेस का पक्ष
कांग्रेस जिला अध्यक्ष अरुण मालाकार ने कहा: “भाजपा और जिला प्रशासन जनप्रतिनिधियों का अपमान कर रहे हैं। यह भाजपा की तानाशाही और सत्ता के नशे को दर्शाता है। नगर पालिका अध्यक्ष और विधायकों को कार्यक्रम से दूर रखना प्रोटोकॉल का उल्लंघन और अपमानजनक है।”

मालाकार ने यह भी दावा किया कि जिन विकास कार्यों का उद्घाटन हुआ, वे कांग्रेस शासन के दौरान प्रस्तावित किए गए थे। उन्होंने इसे जनता को भ्रमित करने वाला कदम बताया और कहा कि कांग्रेस सड़क से लेकर सदन तक इसका विरोध करेगी।

वरिष्ठ नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सूरज तिवारी ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन भाजपा नेताओं के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने कहा: “नया रायपुर के कार्यक्रमों में सरपंचों तक को मंच और सम्मान दिया गया, लेकिन सारंगढ़ में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। यह अपमान सहन नहीं किया जाएगा।”

कांग्रेस युवा नेता का बयान
कांग्रेस युवा नेता शुभम भाजपाई ने कहा कि नगर पालिका अध्यक्ष का नाम जानबूझकर कार्यक्रम से हटाया गया। उन्होंने कलेक्टर धर्मेश साहू पर भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा: “अगर कलेक्टर भाजपा का दामन थामना चाहते हैं, तो पद छोड़कर राजनीति करें। कांग्रेस इस अपमान का बदला चुनाव में लेगी।”

क्षेत्र में बढ़ा सियासी तनाव
इस घटनाक्रम के बाद क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। कांग्रेस ने आने वाले दिनों में सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। वहीं, भाजपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

यह घटना राजनीतिक तनाव और सत्ता के लिए चल रही खींचतान को उजागर करती है। आने वाले चुनावों के मद्देनजर इस विवाद का असर जिले की राजनीति पर गहरा हो सकता है।

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