शराब फैक्ट्री से जहरीला अपशिष्ट नदी में, हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी

बिलासपुर । मोहभट्टा-धूमा में स्थित मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित शराब फैक्ट्री से बिना शोधन किए जहरीला अपशिष्ट शिवनाथ नदी में छोड़े जाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों से स्पष्ट रूप से पूछा है कि इस तरह की अनुमति शराब फैक्ट्री संचालक को किस आधार पर दी गई। साथ ही, नदी के पानी की गुणवत्ता सुधार और नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं। इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई के लिए हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है।

मामले की पृष्ठभूमि
शिवनाथ नदी के बढ़ते प्रदूषण को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है। इस मुद्दे पर सोमवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से विस्तृत रिपोर्ट और एक नया हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पर्यावरण मंडल को अन्य उद्योगों की भी नियमित निगरानी करने के आदेश दिए थे।

हालांकि, कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में दावा किया गया कि शिवनाथ नदी का पानी साफ है और प्रदूषित नहीं है। इस मामले में शासन का पक्ष उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने रखा।

कैसे उठा मामला?
20 जुलाई 2024 को मीडिया रिपोर्ट के जरिए इस प्रदूषण का खुलासा हुआ था। खबर को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश ने इसे जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत करने का आदेश दिया। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि ग्राम मोहभट्टा-धूमा, जिला मुंगेली स्थित मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के अपशिष्ट सीधे नदी में बहाए जा रहे हैं, जिससे करीब 20 हजार लोगों की आबादी प्रभावित हो रही है।

350 एकड़ धान की फसल प्रभावित, लोगों का जीवन दूभर
इस औद्योगिक प्रदूषण के कारण शिवनाथ नदी से जुड़े गांवों में 350 एकड़ से अधिक धान की फसल प्रभावित हो चुकी है। इसके अलावा, नदी के पानी की दुर्गंध और जहरीले तत्वों के कारण ग्रामीणों को सांस लेने में दिक्कत, खुजली, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बुजुर्गों और बच्चों को अधिक परेशानी हो रही है। पुलिस द्वारा लिए गए पानी के नमूनों में भी प्रदूषण के प्रमाण मिले हैं।

हाई कोर्ट की जांच और निर्देश

बिलासपुर क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारियों ने 21 नवंबर 2024 और 4 दिसंबर 2024 को शिवनाथ नदी, खजरी नाले और शराब फैक्ट्री के आउटलेट से पानी के नमूने लिए। रिपोर्ट के अनुसार, पानी में 1.5 मिलीग्राम/लीटर जहरीले तत्व पाए गए, जो स्वच्छ जल मानकों के अनुसार अत्यधिक है।

हाई कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मंडल को अन्य उद्योगों की भी कड़ी निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

अगली सुनवाई 2 अप्रैल को
कोर्ट ने इस गंभीर मामले में सरकार और पर्यावरण विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और अगली सुनवाई 2 अप्रैल 2024 को तय की है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस प्रदूषण को रोकने के लिए ठोस कदम उठाता है या फिर आम जनता और पर्यावरण को ऐसे ही नुकसान उठाना पड़ेगा।

शराब फैक्ट्री द्वारा नदी में छोड़ा जा रहा अपशिष्ट न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि लोगों की सेहत और कृषि को भी नुकसान पहुंचा रहा है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के इस सख्त रुख से उम्मीद की जा रही है कि शासन-प्रशासन जल्द कोई ठोस कार्रवाई करेगा।

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