बस्तर-सुकमा में सोलर स्ट्रीट लाइट घोटाला: हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

बिलासपुर । बस्तर और सुकमा के ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में ग्रामीण विद्युतीकरण के नाम पर 18 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे स्वत: संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए। यह मामला अब चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई के अधीन है।

बिना टेंडर 3500 स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं
बस्तर और सुकमा जिले के 190 गांवों में बिना किसी टेंडर और वर्कऑर्डर के 3500 से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं। 2021 से 2022 के बीच इस बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। आश्चर्यजनक रूप से, क्रेडा (छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी) ने भी सभी नियम-कायदों को नजरअंदाज कर दिया।

कोर्ट में हुई सुनवाई, राज्य सरकार से मांगा जवाब
पिछली सुनवाई में, राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अधिकारियों ने अदालत को बताया कि नियमानुसार निविदा प्रक्रिया क्रेडा के माध्यम से होनी चाहिए थी, जो पूरी नहीं की गई। अधिकारियों को इस अनियमितता की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। भंडार क्रय नियमों का भी उल्लंघन किया गया।

अतिरिक्त महाधिवक्ता राज कुमार गुप्ता ने कोर्ट को सूचित किया कि जब यह मामला अधिकारियों के संज्ञान में आया, तो 9 अप्रैल 2024 को आदिवासी विकास आयुक्त, रायपुर ने इसकी जांच के आदेश दिए। जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को सौंपी जा चुकी है।

हाई कोर्ट ने मांगा विस्तृत शपथ पत्र

अतिरिक्त महाधिवक्ता के जवाब के बाद, डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह शपथ पत्र के माध्यम से इस पूरे मामले और जांच की विस्तृत जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे। मामले की अगली सुनवाई जल्द ही निर्धारित की जाएगी।

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