कांग्रेस विधायक दल की बैठक में चुनावी हार पर सामूहिक जिम्मेदारी की चर्चा

रायपुर । कांग्रेस विधायक दल की सोमवार को नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के निवास पर हुई बैठक में राज्य में हुए चुनावों की समीक्षा की गई। इस बैठक में यह तय किया गया कि आम जनता से जुड़े मुद्दों को विधानसभा सत्र के दौरान आक्रामक तरीके से उठाया जाएगा।

बैठक में अलग-अलग विषयों पर चर्चा चल रही थी, इसी दौरान वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने एक बड़ा मुद्दा उठाया। बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, मोहम्मद अकबर ने कहा कि स्थानीय चुनावों में पार्टी के हर नेता ने अपने-अपने क्षेत्र में टिकट बांटे थे। उन्होंने बताया कि उनके समेत सभी नेताओं ने अपने क्षेत्र के प्रत्याशियों की सूची प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के समक्ष प्रस्तुत की थी और अध्यक्ष ने बिना किसी संशोधन के उन सभी नामों को स्वीकृति दी थी।

अकबर ने स्पष्ट किया कि चुनाव में सभी नेताओं ने अपने-अपने प्रत्याशी उतारे और यदि हार हुई तो यह सामूहिक पराजय है। इसलिए इसका ठीकरा अकेले प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज पर फोड़ना उचित नहीं होगा।

विधायकों की सहमति

इस मुद्दे पर जब पूर्व मंत्री अकबर ने अपनी बात रखी, तो कुछ देर के लिए विधायक दल में चुप्पी छा गई। बाद में कुछ विधायकों ने इस तर्क से सहमति जताई कि यदि कांग्रेस को राजधानी समेत पूरे प्रदेश में पराजय का सामना करना पड़ा है, तो इसके लिए अकेले प्रदेश अध्यक्ष को ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा, बल्कि यह पूरी पार्टी की सामूहिक ज़िम्मेदारी बनती है।

बताया जा रहा है कि नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव सहित अधिकांश नेताओं ने भी मोहम्मद अकबर की इस राय का समर्थन किया। उन्होंने माना कि टिकट वितरण में सभी नेताओं की भागीदारी रही है, इसलिए हार की ज़िम्मेदारी भी सभी को लेनी चाहिए।

दीपक बैज पर उठ रहे सवाल
गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के खिलाफ पिछले कुछ महीनों से असंतोष का माहौल बना हुआ था, जिसे नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों ने और अधिक बढ़ा दिया है। पार्टी के अंदरूनी हलकों में बैज को ही हार के लिए ज़िम्मेदार ठहराने की बातें हो रही थीं। लेकिन इस बैठक के बाद यह स्पष्ट हुआ कि पार्टी के नेताओं ने सामूहिक रूप से निर्णय लिए थे, इसलिए पराजय की ज़िम्मेदारी भी सामूहिक रूप से ली जानी चाहिए।

इस बैठक से यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस में आंतरिक एकता बनाए रखने और आगामी राजनीतिक रणनीति को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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