जैन साधु-साध्वियों की मौतें सड़क हादसे नहीं, सुनियोजित साजिश: जैन संवेदना ट्रस्ट
प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, SIT जांच की मांग

रायपुर । जैन संवेदना ट्रस्ट ने हाल ही में जैन संतों की सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों को महज हादसा न मानते हुए सुनियोजित साजिश बताया है। ट्रस्ट ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर SIT जांच की मांग की है। ट्रस्ट का आरोप है कि ये घटनाएं महज संयोग नहीं, बल्कि एक गंभीर षड्यंत्र का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यक जैन समुदाय के संतों को निशाना बनाना है।
28 मई को दो संतों का निधन, संदिग्ध परिस्थितियों में हादसे का दावा
ट्रस्ट के अनुसार, 28 मई को राजस्थान के पाली में आचार्य पुण्डरीक रत्न सूरीश्वर जी और गुजरात के बारडोली में पूज्य अभिनंदन मुनि जी का सड़क हादसे में देवलोकगमन हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पाली की घटना में एक ट्रक जानबूझकर कच्चे रास्ते में मुड़कर संतश्री को टक्कर मारकर फरार हो गया। यह स्पष्ट रूप से एक “कूल माइंडेड मर्डर” है, न कि कोई आकस्मिक दुर्घटना।
दुर्घटनाओं में दिख रहा है पैटर्न, गहरी साजिश की आशंका
ट्रस्ट के महेंद्र कोचर और विजय चोपड़ा ने पत्र में लिखा है कि पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों जैन संतों की ऐसी ही घटनाओं में मृत्यु हुई है, जिनमें एक समान पैटर्न देखने को मिला है—सड़क किनारे चल रहे संतों को भारी वाहन द्वारा टक्कर मारकर फरार हो जाना।
सरकार से की गई प्रमुख मांगें:
हत्या का मामला दर्ज हो – बीएनएस की धारा 101 (हत्या), 106(2) (लापरवाही से मौत) और 61(2) (षड्यंत्र) के तहत एफआईआर दर्ज की जाए।
SIT जांच हो – वरिष्ठ व तकनीकी रूप से दक्ष अधिकारी की अगुआई में विशेष जांच दल (SIT) गठित कर जांच करवाई जाए।
आस्था और सुरक्षा की रक्षा हो – ट्रस्ट ने लिखा कि यह केवल संतों की हत्या नहीं, बल्कि आस्था, अहिंसा और संस्कृति पर हमला है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
साधु-संतों के आशीर्वाद से बनी सरकार, अब दे जवाब
ट्रस्ट ने सवाल उठाया कि जिस सरकार ने संतों के आशीर्वाद से सत्ता पाई है, क्या वह उनकी रक्षा में नाकाम रहेगी? उन्होंने कहा कि आस्था की रक्षा करना केवल जैन समाज की नहीं, पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी है।
जैन संतों की रहस्यमयी मौतों को लेकर उठे सवाल अब राष्ट्रीय स्तर पर गूंजने लगे हैं। जैन संवेदना ट्रस्ट की अपील के बाद यह मामला सिर्फ धार्मिक नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा और अल्पसंख्यक संरक्षण से जुड़ा मुद्दा बन गया है। अब देखना है कि केंद्र सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।