चुनावी साल में भाजपा नेताओं की फांस बनेगा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला
रायपुर। चुनावी साल में भाजपा नेताओं के लिए इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला गले की फांस बन सकता है। कांग्रेस सरकार की अपील के बाद न्यायालय ने 2006 में हुए बैंक घोटाले के मामले में फिर से जांच के आदेश दे दिए हैं। बैंक के तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा ने नार्को टेस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल आदि बड़े नेताओं का नाम लिया था।
मामले में उप महाधिवक्ता ने साफ कर दिया है कि वैज्ञानिक जांच के आधार पर नार्को टेस्ट में जिन लोगों के नाम लिए गए हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी। 56 करोड़ रुपये के इस घोटाले में नार्को टेस्ट अभी भी कांग्रेस सरकार के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है।
कोर्ट का आदेश आने के बाद कांग्रेस ने पूर्व सीएम डा रमन, बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम और राजेश मूणत को सह अभियुक्त बनाने की मांग की है। वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि बैंक घोटाले की जांच भाजपा सरकार ने ही कराई थी, इसलिए हम किसी भी जांच से डरने वाले नहीं है। यह कांग्रेस का राजनीतिक षड्यंत्र है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद न्याय की उम्मीद जगी है। कांग्रेस पार्टी शुरुआत से ही इंदिरा बैंक के खातेदारों को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत है। हमारा इरादा इस मामले के दोषियों को सजा दिलाने का है। हमारे लिए यह राजनीति का विषय नहीं है और न ही राजनीतिक बदला भांजने का अवसर है। बैंक घोटाले की बड़ी रकम भाजपा के बड़े नेताओं के पास घूस के रूप में पहुंची। भाजपा नेताओं से इस रकम की वसूली की जानी चाहिए। नार्को टेस्ट में आरोपित उमेश सिन्हा ने स्वीकार किया कि उसने भाजपा नेताओं को पैसा दिया है।
इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोपित उमेश सिन्हा के नार्कों टेस्ट का वीडियो ट्वीट किया था। इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री डा रमन सिंह ने कहा कि सबसे बड़ा झूठ तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है। मुख्यमंत्री दिखाए कि कौन से हाइकोर्ट ने क्या कहा है? ये सिर्फ भ्रम फैलाने का काम करते हैं। न कोई हाइकोर्ट का फैसला आया है, न ही निर्देश हैं, वो सिर्फ मनगढ़ंत बात कर रहे। दरअसल, मुख्यमंत्री बघेल ने ट्वीट किया था कि उच्च न्यायालय का आदेश आया है, जिसे तत्काल सुधार करते हुए स्पष्ट किया था कि उच्च न्यायालय को न्यायालय पढ़ा जाए।
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विशेष लोक अभियोजक व राज्य सरकार के उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा कि न्यायालय से आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है। अभिमत के बाद पुलिस को जांच की दिशा आगे बढ़ानी होगी। प्रकरण हैंडओवर करने संबंधी प्रक्रिया कुछ वक्त लगेगा। वैज्ञानिक जांच पालिग्राफिक टेस्ट, ब्रेन मैपिंग और नार्काें टेस्ट की फोरेसिंक रिपोर्ट जांच में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।
पूर्व मंत्री व भाजपा प्रवक्ता राजेश मूणत ने कहा कि कांग्रेस बताएं कि इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में पदाधिकारी किस पार्टी के थे। इसमें अध्यक्ष से लेकर निदेशक तक कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। पदाधिकारियों ने ही लाखों रुपये का लोन लेकर गबन किया। भाजपा किसी भी जांच के लिए तैयार है।\B क्या है इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला\B
इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला वर्ष 2006 में सामने आया था। 56 करोड़ रुपये के इस घोटाले में बैंक मैनेजर का नार्कों टेस्ट 2007 में बंगलुरू में कराया गया था। नार्कों टेस्ट की फोरेसिंक रिपोर्ट वर्ष 2019 में आई थी। बैंक के संचालक मंडल में तब 19 सदस्य थे, जिसमें से 11 सदस्यों की गिरफ्तारी भी हुई थी। राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में बैंक के संचालक मंडल सदस्यों से रिकवरी के भी आदेश दिए थे।