खबरी राम. कॉम पर जानिए लोहड़ी पर्व की परंपरा और मान्यताएं, जानें कुछ खास बाते
रायपुर। Happy Lohri : लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति के आसपास या कभी-कभी मकर संक्रांति के दिन की मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में खासतौर पर मनाया जाने वाला लोहड़ी लोहड़ी उत्सव इस बार मत-मतांतर के चलते कई स्थानों पर 13 जनवरी और 14 जनवरी 2023 की रात को मनाया जाएगा। अत: साल 2023 में 14 और कई जगहों पर 15 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) मनाई जाएगी। 14 जनवरी को लोहड़ी पूजन का शुभ मुहूर्त रात 8.57 मिनट पर।
आइए यहां जानते हैं लोहड़ी उत्सव के बारे में खास बातें-
कब मनाते हैं लोहड़ी- वर्ष की सभी ऋतुओं पतझड, सावन और बसंत में कई तरह के छोटे-बड़े त्योहार मनाए जाते हैं, जिन में से एक प्रमुख त्योहार लोहड़ी है जो बसंत के आगमन के साथ 13 जनवरी, पौष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।
लोहड़ी का अर्थ- लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द तिल तथा रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) शब्दों के मेल से बना है, जो समय के साथ बदल कर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मकर संक्रांति के दिन भी तिल-गुड़ खाने और बांटने का महत्व है। पंजाब के कई इलाकों में इसे लोही या लोई भी कहा जाता है।
अग्नि के आसपास उत्सव- लोहड़ी की संध्या को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं। अग्नि की परिक्रमा करते और आग के चारों ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं। इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लेते हैं।
लोहड़ी का आधुनिक रूप आधुनिकता के चलते लोहड़ी मनाने का तरीका बदल गया है। अब लोहड़ी में पारंपरिक पहनावे और पकवानों की जगह आधुनिक पहनावे और पकवानों को शामिल कर लिया गया है। लोग भी अब इस उत्सव में कम ही भाग लेते हैं।
सुंदरी एवं मुंदरी से भी जुड़ा है यह त्योहार- कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शादी करवा दी थी।