परवीन के निलंबन से भारत ने गंवाया ओलंपिक कोटा, 57 किग्रा में फिर से होगी कोटा हासिल करने की कोशिश

नयी दिल्ली. पिछले 12 महीने में तीन बार अपना ठिकाना (वेयरअबाउट) नहीं बताने के कारण विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज परवीन हुड्डा को विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी (वाडा) द्वारा निलंबित किये जाने के बाद भारत महिलाओं के 57 किग्रा वजन वर्ग में फिर क्वालीफाई करने की कोशिश करेगा.

पिछले साल एशियाई खेलों में ओलंपिक कोटा हासिल करने वाली परवीन ने अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच अपने ठिकाने की जानकारी नहीं दी थी जो वाडा नियमों के तहत अनिवार्य है . इससे उन पर 22 महीने का निलंबन लगाया गया. भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, ”परवीन हुड्डा को ठिकाने की जानकारी नहीं देने के कारण अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी (आईटीए) द्वारा 22 महीने के लिए निलंबित किया गया है. ” हालांकि संबंधित एजेंसियों के साथ चर्चा के बाद, परवीन की सजा की तारीख को कम करते हुए बदल दिया गया है जिससे उन्हें अब शुक्रवार से 14 महीने का निलंबन झेलना होगा.

विज्ञप्ति के अनुसार, ”कई चर्चाओं के बाद आईटीए ने परवीन पर एक प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है जिसमें 22 महीने की अयोग्यता अवधि लागू करना शामिल है. इसे अब छह महीने पीछे की तारीख में कर दिया गया है. अब यह प्रतिबंध 17 मई 2024 से शुरू होकर 14 महीने का होगा. ” इसका मतलब है कि परवीन इस साल जुलाई-अगस्त में होने वाले पेरिस खेलों में भाग नहीं ले पाएंगी. मुक्केबाजी में, कोटा देश को नहीं बल्कि एथलीट को दिया जाता है. इस तरह भारत के ओलंपिक जाने वाले दल में तीन मुक्केबाज निकहत जरीन (50 किलो), प्रीति (54 किलो) और लवलीना बोरगोहेन (75 किलो) बची हैं.

आखिरी ओलंपिक क्वालीफायर 24 मई से बैंकॉक में है. इससे भारत के पास महिलाओं के 57 किग्रा वर्ग में क्वालीफाई करने का एक और मौका होगा. लेकिन देश सिर्फ उन्हीं रिजर्व खिलाड़ियों को उतार सकता है जो 11 अप्रैल तक पंजीकृत हुई थीं. बीएफआई ने कहा, ”इसका मतलब है कि केवल 60 किग्रा और 66 किग्रा वर्ग में रिजर्व के तौर पर शामिल हुई दो मुक्केबाज ही बैंकॉक में भाग लेने के लिए योग्य होगीं. ” रजिस्टर्ड टेस्टिंग पूल (आरटीपी) में शामिल खिलाड़ियों को कही रात में रूकने पर अपना पूरा पता, नाम और हर ठिकाने का पूरा पता देना होता है जहां वे अभ्यास करते हैं, काम करते हैं या अन्य नियमित गतिविधियों में शामिल होते हैं .

इसके अलावा उन्हें 60 मिनट का विंडो और स्थान की जानकारी देनी होती है जहां वे टेस्ट के लिये उपलब्ध होंगे . ऐसा नहीं करने को वाडा के ठिकाने के प्रावधान का उल्लंघन माना जायेगा . बारह महीने में तीन बार ऐसा करने में नाकाम रहने को डोपिंग नियम का उल्लंघन माना जाता है और दो साल तक का निलंबन हो सकता है जिसे घटाकर एक साल तक किया जा सकता है .

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