केजरीवाल ने चिकित्सकीय जांच के लिए अंतरिम जमानत एक हफ्ते बढ़ाने का न्यायालय से किया अनुरोध
नयी दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अचानक अपना वजन छह से सात किलोग्राम कम हो जाने के चलते कई चिकित्सकीय जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत की अवधि सात दिन बढ़ाने का अनुरोध किया है. केजरीवाल ने 26 मई को दायर अपनी याचिका में कहा है कि वह जेल लौटने के लिए न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई तिथि दो जून के बजाय नौ जून को आत्मसमर्पण करना चाहते हैं.
सूत्रों के अनुसार, ”अपीलार्थी ने अपनी अंतरिम जमानत एक हफ्ते बढ़ाने का अनुरोध किया है, जिस दौरान वह चिकित्सकीय जांच कराएंगे और उसकी रिपोर्ट प्राप्त करेंगे. वह तीन जून (सोमवार) से सात जून (शुक्रवार) तक ये जांच कराएंगे और फिर उसी हफ्ते के अंत में नौ जून को आत्मसमर्पण कर देंगे.” याचिका में कहा गया है कि उनका वजन छह से सात किलोग्राम कम हो गया है और उनका कीटोन स्तर ”बहुत अधिक” है, जो गुर्दा (किडनी), हृदय की गंभीर बीमारी और यहां तक कि कैंसर का संभावित संकेतक है.
याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री को ‘पैट-सीटी स्कैन’ सहित कुछ चिकित्सकीय जांच कराने की जरूरत है. ‘पैट-सीटी स्कैन’ यानी ‘पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी-कंप्यूटेड टोमोग्राफी’ जांच के जरिए शरीर के अंगों एवं ऊतकों की विस्तृत तस्वीरें ली जाती हैं. शीर्ष अदालत ने 10 मई को, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल को प्रचार करने के लिए एक जून तक यानी 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी, जिसके अनुसार उन्हें दो जून को जेल लौटना है. न्यायालय ने यह भी कहा था कि केजरीवाल इस दौरान अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे और ना ही किसी भी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, जब तक कि उपराज्यपाल की मंजूरी प्राप्त करने के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो.
केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. न्यायालय ने निर्देश दिया था कि केजरीवाल दो जून को आत्मसमर्पण करेंगे. इसके एक दिन पहले, सातवें एवं अंतिम चरण का मतदान होना है. केजरीवाल की इस नयी याचिका पर न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ के आगामी दिनों में विचार करने की संभावना है.
याचिका में कहा गया है कि 21 मार्च से 10 मई तक हिरासत में रहने के दौरान मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां आईं, जिसके लिए जेल अधिकारियों की लापरवाही और कठोर व्यवहार भी कुछ हद तक जिम्मेदार है. याचिका में कहा गया है कि जेल में केजरीवाल का वजन छह से सात किलोग्राम कम हो गया और बाहर आने के बाद वजन नहीं बढ़ पा रहा और ना ही उनका स्वास्थ्य पहले जैसा हो पा रहा है.
इसमें कहा गया है, ”इस बीच, हालिया जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई है कि अपीलार्थी का असामान्य रूप से रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ गया है और मूत्र में कीटोन का स्तर अधिक है, जो यह संकेत देता है कि रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने के साथ-साथ अपीलार्थी को किडनी से जुड़ी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है.” दिल्ली के एक निजी अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक से मुख्यमंत्री आवास पर हाल में जांच कराने का उल्लेख करते हुए याचिका में कहा गया है कि डॉक्टर ने केजरीवाल की स्वास्थ्य समस्याओं पर गौर किया और कई जांच कराने का परामर्श दिया, जिसे मुख्यमंत्री के आत्मसमर्पण करने से पहले कराया जाना जरूरी है.
याचिका में कहा गया है, ”मैक्स अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने 25 मई 2024 को अपीलार्थी के आवास पर विस्तृत चिकत्सकीय जांच की और कई जांच कराने का निर्देश दिया था….” इसमें कहा गया है कि पैट-सीटी स्कैन सहित अन्य जांच एक खास क्रम में की जानी हैं और इनमें पांच-सात दिन लगेंगे. केजरीवाल के खिलाफ मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति बनाने और उसे क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है. यह नीति अब रद्द की जा चुकी है.