नागरिकता अधिनियम संवैधानिक: चार जजों की बेंच ने 4:1 के बहुमत से सुनाया फैसला
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को 4:1 के बहुमत के फैसले से असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।
संविधान पीठ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की वैधता की पुष्टि की है। इसके तहत 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले अवैध अप्रवासियों को नागरिकता का लाभ दिया गया था। आपको बता दें कि इनमें से अधिकतर बांग्लादेश से थे।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान है। बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर प्रवेश ने इसकी संस्कृति और जनसांख्यिकी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुन्दरेश और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने बहुमत से दिए गए अपने फैसले में कहा कि संसद के पास इस प्रावधान को लागू करने की विधायी क्षमता है। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया।
बता दें कि यह आदेश उस याचिका पर आया जिसमें कहा गया था कि बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से शरणार्थियों के आने से असम के जनसांख्यिकीय संतुलन पर असर पड़ा है। इसमें कहा गया था कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। यह असम के लिए खास बना था। असम में आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम में अधिक है। असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है, क्योंकि असम का क्षेत्रफल पश्चिम बंगाल से कम है।
जस्टिस पारदीवाला 6A को असंवैधानिक बताया
कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 4:1 के बहुमत से तीन फैसले सुनाए और नागरिकता कानून की धारा 6ए की वैधता बरकरार रखी। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने अल्पमत का अपना फैसला सुनाते हुए असहमति जताई और नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया।
नागरिकता देने का एकमात्र तरीका रजिस्ट्रेशन नहीं- SC
कोर्ट ने कहा कि भारत में नागरिकता देने का एकमात्र तरीका रजिस्ट्रेशन नहीं है और धारा 6A को सिर्फ इसलिए असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि इसमें रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया नहीं दी गई है। इसलिए मेरा भी निष्कर्ष है कि धारा 6A वैध है। इसके साथ ही कोर्ट अब बांग्लादेशियों की पहचान और निर्वासन के काम की निगरानी भी करेगा। नागरिकता कानून की धारा 6A को 1985 में असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए संशोधन के बाद जोड़ा गया था।