मणिपुर में बरामद हुआ स्टारलिंक डिवाइस, भारत की सुरक्षा पर बढ़ा खतरा
नई दिल्ली । मणिपुर में सुरक्षाबलों द्वारा हथियारों और गोला-बारूद के साथ इंटरनेट उपकरणों की बरामदगी ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंतित कर दिया है। इंफाल में 13 दिसंबर को हुई इस छापेमारी में विशेष रूप से स्टारलिंक डिवाइस बरामद हुआ, जो दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा विकसित सैटेलाइट इंटरनेट सेवा से जुड़ा है।
क्या है स्टारलिंक और यह कैसे काम करता है?
स्टारलिंक एक सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा है, जो लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित हजारों छोटे सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करती है। पारंपरिक टावरों और केबल नेटवर्क की जगह, यह सीधे सैटेलाइट से सिग्नल भेजता है। यह तकनीक दूरस्थ और इंटरनेट से वंचित क्षेत्रों में भी निर्बाध सेवा प्रदान करने में सक्षम है। हालांकि, भारत में यह सेवा अभी आधिकारिक रूप से उपलब्ध नहीं है।
बरामदगी के क्या मायने हैं?
मणिपुर में बरामद डिवाइस, जिनमें स्टारलिंक एंटीना और राउटर शामिल हैं, उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और रेवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) से जुड़े पाए गए। यह संगठन भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित हैं। इन उपकरणों का इस्तेमाल सुरक्षा बलों द्वारा लागू इंटरनेट बंदी को दरकिनार कर विद्रोही समूहों के बीच संचार के लिए किया जा सकता है।
भारत के लिए क्यों चिंता का विषय है?
सीमापार तस्करी: सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मणिपुर में बरामद स्टारलिंक डिवाइस म्यांमार से तस्करी कर लाए गए हैं। म्यांमार में ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल जातीय हिंसा और उग्रवादियों द्वारा किया जा रहा है।
इंटरनेट प्रतिबंध विफल: इंटरनेट बंदी से हिंसा पर नियंत्रण की रणनीति इन सैटेलाइट डिवाइसों के कारण अप्रभावी हो सकती है।
विद्रोही गतिविधियों का विस्तार: सीमापार नेटवर्क से संपर्क मजबूत कर ये डिवाइस मणिपुर के उग्रवादी संगठनों को नई तकनीकी शक्ति दे सकते हैं, जिससे सुरक्षा पर खतरा बढ़ेगा।
क्या भारत में स्टारलिंक सेवा वैध है?
स्टारलिंक को भारत में अभी तक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करने का लाइसेंस नहीं मिला है। हालांकि, कंपनी ने इसके लिए आवेदन किया है, जो गृह मंत्रालय की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। एलन मस्क ने भी भारत में सिग्नल पहुंचने की बात को नकारा है।
विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सैटेलाइट इंटरनेट की वजह से पारंपरिक संचार प्रतिबंध अप्रभावी हो सकते हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को इस तकनीक के खतरे को समझते हुए नए प्रावधान लागू करने की आवश्यकता है।
मणिपुर में स्टारलिंक डिवाइस की बरामदगी ने सुरक्षा एजेंसियों को नए खतरे से आगाह किया है। यह घटना भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में तकनीकी निगरानी और उग्रवादी संगठनों की गतिविधियों पर सख्त कदम उठाने की जरूरत को उजागर करती है। इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों को समन्वित रणनीति बनानी होगी।