मुद्रास्फीति के अनुमान को लेकर ‘पूर्वाग्रह’ वाली कोई बात नहीं: आरबीआई

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने बुधवार को कहा कि हर अनुमान में त्रुटियों का जोखिम होता है, पर केंद्रीय बैंक के मुद्रास्फीति अनुमान में ‘व्यवस्था के स्तर पर पूर्वाग्रह’ वाली कोई बात नहीं है। इस संदर्भ में कुछ तबकों में ंिचताओं के बीच, गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय बैंक अपने मुद्रास्फीति अनुमानों पर पहुंचने के लिए विभिन्न मॉडल और विशेषज्ञ चर्चाओं का उपयोग करता है और अनुमानों का गलत होना कोई सिर्फ यहां का मामला नहीं है बल्कि ‘वैश्विक घटना’ है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक भुगतान संतुलन के आंकड़े मासिक आधार पर जारी करने पर भी विचार कर रहा है। वर्तमान में तिमाही आधार पर ये आंकड़ें जारी किए जाते हैं। वैश्विक व्यापार नीतियों में हो रहे व्यापक बदलाव के बीच उन्होंने यह बात कही।
भुगतान संतुलन देश की बा‘ स्थिति के बारे में संकेत देता है।
उल्लेखनीय है कि मुद्रास्फीति अनुमान को लेकर ंिचता आंकड़ों को अधिक दिखाने के अनुमान से उत्पन्न हुई है। इसके बारे में आलोचकों का तर्क है कि इसने आरबीआई को पिछले कुछ महीनों में नीतिगत दरों में और कटौती करने से रोका है। उनका तर्क है कि दरों में कटौती अर्थव्यवस्था के लिए मददगार होती और संभवत? अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को कम करती।
गुप्ता ने सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘अनुमान की त्रुटियों को कम करना भी महत्वपूर्ण है, लेकिन अनुमान में कोई व्यवस्थित पूर्वाग्रह नहीं है। ऐसा नहीं है कि पूर्वानुमान किसी विशेष रूप से पक्षपाती है।’’ मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान पर आलोचनाओं को स्वीकार करते हुए, उन्होंने कहा कि मीडिया में लेख पढ़ना ‘मजेदार’ है, और बातों को कठोरता से लिखा जाता हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि आरबीआई इन विचारों को बहुत गंभीरता से लेता है।
आरबीआई के मौद्रिक नीति विभाग में अपने सहयोगियों के साथ बातचीत का हवाला देते हुए, गुप्ता ने कहा कि हर अनुमान में त्रुटियों का जोखिम होता है और ऐसा कोई भी पूर्वानुमान लगाने वाला नहीं है जो हर बार सही हो। यह दुनिया के अन्य देशों में भी होता है।
उन्होंने बताया कि आरबीआई मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें सिद्ध मॉडल का उपयोग, ऐतिहासिक प्रतिरूप का उपयोग, सर्वेक्षण और मंत्रालयों और विश्लेषकों सहित संबंधित पक्षों से परामर्श लिया जाना शामिल है।
डिप्टी गवर्नर ने यह भी कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई) पर सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आगामी संशोधन भारतीय रिजर्व बैंक के लिए मददगार होंगे। भुगतान संतुलन आंकड़ों के मुद्दे पर, गुप्ता ने कहा कि आरबीआई ने पहले ही अंतराल को कम कर दिया है। इसके तहत तिमाही आंकड़े पहले के 90 दिन के बजाय 60 दिन के भीतर जारी किए जाते हैं और अन्य सुधारों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आरबीआई इस अंतराल को और कम करने की कोशिश कर रहा है और मासिक आधार पर इसे जारी करने पर भी विचार कर रहा है। यह तिमाही आंकड़े जितना विस्तृत नहीं हो सकता है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह कब तक पूरा होगा।
डिप्टी गवर्नर ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम मासिक आंकड़ा जारी करने पर काम कर रहे हैं। इसका उद्देश्य बेहतर और अधिक आंकड़े देना है।’’





