कांग्रेस के नेहरू-गांधी परिवार ने पटेल की खींची बड़ी लकीर मिटाने की कोशिश की: मोहन यादव


इंदौर: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कांग्रेस के नेहरू-गांधी परिवार पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महापुरुषों के साथ साजिशन अन्याय करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि इस खानदान ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की खींची बड़ी लकीर मिटाने की कोशिश की।
यादव, पटेल की 150वीं जयंती पर निकाले जा रहे ‘यूनिटी मार्च’ में इंदौर में शामिल हुए। उन्होंने इस मौके पर आयोजित सभा में कहा, ‘‘कांग्रेस के नेहरू-गांधी परिवार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान देने वाले महापुरुषों के साथ साजिश के तहत अन्याय किया और उनकी विरासत को भुलाने का काम किया। इन महापुरुषों में सरदार वल्लभ भाई पटेल और नेताजी सुभाषचंद्र बोस शामिल हैं।’’
यादव ने कहा कि देश की आजादी के बाद पटेल प्रधानमंत्री के तौर पर पूरे देश को सहजता से स्वीकार होते, लेकिन महात्मा गांधी से चर्चा के बाद उन्होंने इस सिलसिले में विनम्रता से खुद को पीछे रखा। उन्होंने कहा कि पटेल के कद के सामने कांग्रेस के नेहरू-गांधी परिवार के नेता बौने हैं, लेकिन इस खानदान ने ‘लौहपुरुष’ के नाम से मशहूर नेता की खींची बड़ी लकीर को मिटाने की कोशिश की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजाद भारत के पहले गृह मंत्री के तौर पर पटेल ने देश में लोकतंत्र को मजबूत करने वाले प्रशासनिक तंत्र को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। यादव ने ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’ का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात के केवड़िया में सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा बनवाई गई है जिससे ‘लौह पुरुष’ के विराट व्यक्तित्व को सदियों तक याद रखा जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ‘गलती’ के कारण जम्मू-कश्मीर पर लगाए गए ‘अनुच्छेद 370 के कलंक’ के परिणामस्वरूप कुल 40,000 निर्दोष लोगों की मौत हुई जिनमें सेना और पुलिस के र्किमयों के साथ ही सभी धर्मों के आम लोग और कश्मीरी पंडित शामिल हैं।
नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को पांच अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।





