कैसे कोई टैलेंट को बर्बाद करता है इनसे सीखिए, एक बार फिर संजू सैमसन बने दुर्भाग्य का दूसरा नाम …
रायपुर I हिंदी का एक शब्द है दुर्भाग्यशाली। उर्दू में इसे बदकिस्मत और इंग्लिश में अनलकी कहते हैं। अलग-अलग भाषाओं में और अलग-अलग शब्द मिल जाएंगे, लेकिन क्रिकेट के मैदान पर इसके लिए एक ही नाम है संजू सैमसन।
संजू दुनिया के सबसे बदकिस्मत क्रिकेटर हैं। अच्छा खेलने के बावजूद कभी उन्हें इंडियन स्क्वॉड में जगह नहीं मिलती। स्क्वॉड में जगह मिलती है तो प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिलती और जब प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है तो ये मैच में अच्छा नहीं करते। फिर इंजर्ड होकर पूरी सीरीज से ही बाहर हो जाते हैं।
अपना टाइम आएगा तो हर क्रिकेटर कहता है, लेकिन टाइम आने पर डिलिवर न करने वाला संजू सैमसन कहलाता है।
बदकिस्मती का ये ताजा मामला मुंबई मे हुआ। श्रीलंकाई टीम इंडिया आई हुई है। पहले टी-20 में संजू जब खेलने आए, तब उनके सामने कई ओवर्स थे। टीम में जगह पक्की करने के लिए इससे अच्छा मौका नहीं था। कोई भी जिम्मेदार क्रिकेटर इस मौके को दोनों हाथों से भुनाता, लेकिन संजू तो संजू हैं। सिर्फ 6 गेंद खेलकर चलते बने। आउट तो ऐसे हुए जैसे जबरदस्ती बैटिंग के लिए भेजा गया हो। जबरदस्त फील्डर होने के बावजूद कैच टपकाते रहे बाद में बॉल पकड़ने के चक्कर में ऐसे गिरे कि सीरीज से ही बाहर हो गए।
अक्सर क्रिकेट फैंस को शिकायत होती है कि संजू सैमसन के साथ अन्याय होता है। उन्हें मौके नहीं मिलते। केरल से होने के चलते पक्षपात किया जाता है।
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि
- संजू टैलेंट की खान है।
- शानदार ऐथलीट हैं।
- अच्छी विकेटकीपिंग करते हैं।
जब शॉट्स लगाते हैं तो पूरी दुनिया में उनसे क्लीन हिटर कोई नहीं लगता। मगर ये सारे शॉट्स तभी लगते हैं, जब वो टीम से बाहर होते हैं।