जम्मू कश्मीर:-राजौरी गांव में अब भी मातम, कुछ परिवारों में कमाने वाले तक नहीं…
आतंकी हमले में कुछ परिवारों की जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद,
रायपुर:- जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए आतंकी के निशाने पर आने का सिलसिला थमने को नहीं कह रहा है. नए साल के पहले ही दिन धनगरी राजौरी गांव में आतंकियों ने हिंदुओं के घरों पर हमला कर दिया. आतंकियों द्वारा की गई अंधाधुंध फायरिंग में कई लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के 10 दिन बाद भी गांव में मातम छाया हुआ है।
इस आतंकी हमले से कुछ परिवारों का जीवन पूरी तरह तबाह हो गया था। कई परिवार ऐसे हैं जिनके घरों में एक भी आदमी नहीं रहता है। अब इन परिवारों के सामने आगे के जीवन का संकट आ खड़ा हुआ। बता दें कि गांव में एक और दो जनवरी को आतंकियों ने हमला किया था।
रिटायर फौजी का परिवार भी घायल हुआ
उन्होंने कहा कि सतीश कुमार को आतंकवादियों ने उस समय गोली मार दी, जब वह अपने घर में आतंकियों प्रवेश करने से रोकने की कोशिश कर रहे थे. इस दौरान उनकी पत्नी सरोज (36), बेटी आरुषि (14) और बेटे शुभ शर्मा (17) गेट पर आ गए और उनको भी गोलियां लगीं. उन्होंने कहा, “वह अच्छे दिल वाले व्यक्ति थे और हमेशा सभी के सुख-दुख में उपलब्ध रहते थे. सेना से रिटायर होने के बाद, उनका प्राथमिक ध्यान अपने परिवार की अच्छी देखभाल और अपने बच्चों की शिक्षा पर था.”
सरोज बाला ने अपना सब कुछ खो दिया
आतंकवादियों ने मजदूरी करने वाले प्रीतम लाल (55) और उनके 31 वर्षीय बेटे शिशु पाल की भी हत्या कर दी. शिशु पाल की विधवा नीता देवी ने पीटीआई को बताया, “जब आतंकवादियों ने गांव में गोलीबारी शुरू की, मैं परिवार के लिए रात का खाना बना रही थी. उन्होंने (पति शिशु पाल), मुझे और मेरे नाबालिग बच्चों (एक बेटे और एक बेटी) को स्टोर रूम में धकेल दिया. आतंकियों ने उनसे पहचान पत्र मांगा और फिर उन पर गोली चला दी.”
लगातार दो दिन हुआ आतंकी हमला
स्थानीय लोगों के मुताबिक, आतंकियों ने पहले दीपक कुमार के घर को निशाना बनाया और उसकी हत्या कर दी. इसके बाद ये आतंकी प्रीतम शर्मा के घर गए और यहां उसको और उनके बेटे आशीष को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. आतंकियों ने फिर तीसरे घर पर हमला बोला. ये घर सतीश कुमार नाम के शख्स का है. इस हमले के दूसरे दिन डांगरी गांव में ही आईईडी ब्लास्ट किया गया, जिसमें एक बच्चे और एक किशोरी की मौत हो गई.
रिटायर फौजी ने बड़ी बहादुरी दिखाई
उसने कहा, “उसने कहा कि उसके ससुर गांव में मजदूरी करते थे, जबकि उसका पति एक कंस्ट्रक्शन एजेंसी में काम करता था. कुछ साल पहले उसकी सास की मौत हो गई थी. कोई भी नहीं है जो हमें खिला सके.” उसकी आंखों से आंसू बहने लगे. साढ़े तीन साल पहले सेना से रिटायर हुए सतीश कुमार (45) घर लौट रहे थे, तभी उन्होंने गोली चलने की आवाज सुनी. उनके बहनोई चमन शर्मा ने बताया कि सतीश कुमार ने अपने परिवार को बचाने के लिए अपनी जान दे दी.