CM ने जच्चा-बच्चा की सुरक्षा की खातिर किया यह ऐलान…
उत्तर प्रदेश, 15 अप्रैल। गर्भवती महिलाओं के लिए गुड न्यूज है। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए वैसे तो सरकार पहले ही कई कदम उठा रही है, लेकिन अब एक और ऐलान किया है।
सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने हर माह की पहली और 16 तारीख को भी गर्भवती महिलाओं की जांच किए जाने के आदेश दिए हैं। इससे पहले हर महीने की नौ तारीख और 24 तारीख को एएनसी जांच होती है। नए आदेश के तहत माह में चार बार जांच होगी।
निजी केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड
गाजियाबाद के सीएमओ डॉ. भवतोष शंखधर ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत हर माह की नौ तारीख को ब्लॉक स्तरीय चिकित्सकीय इकाइयों और 24 तारीख को एफआरयू स्तरीय इकाइयों पर गर्भवतियों की जांच की जाती है। सूबे में 67 लाख गर्भवतियों में से मात्र 12.55 लाख दूसरे और तीसरे त्रैमास में प्रसव पूर्व जांच (एंटी नेटल केयर-एएनसी) की सुविधा प्राप्त कर सकीं। सरकार ने इस संख्या को न काफी मानते हुए पीएमएसएमए को और विस्तार देने का निर्णय लिया है।
प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने हर माह की पहली और 16 तारीख को भी जांच के निर्देश दिए हैं। नौ तारीख को पीएमएसएमए दिवस का आयोजन चिकित्सा इकाइयों पर यथावत होता रहेगा।
जनपद में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड सुविधा न होने से गर्भवतियों को निजी केंद्रों पर भेजा जा रहा है। इन केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड सुविधा प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रीपेड क्यूआर कोड लाभार्थी के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है।
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की होती है जांच
गर्भवतियों की नियमित जांच के तहत हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (एचआरपी) को चिह्नित किया जाता है, जिससे एचआरपी प्रभावित महिलाओं को समय पर इलाज मुहैया कराकर सुरक्षित प्रसव कराया जा सके। मार्च तक चिह्नित 3467 एचआरपी में से प्रसव के दौरान 27 महिलाओं की मौत हुई। जिनको प्रसव के दौरान बचाया नहीं जा सका, उनमें 11 की मौत खून की कमी, 7 सिप्सिस, 6 अधिक तनाव, तीन की अन्य कारणों से मौत हुई।