महिला खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न, जब रक्षक ही भक्षक बन जाये
देश के अनेक चरित्रहीन राजनेताओं,पाखण्डी धर्मगुरुओं, तथा दुश्चरित्र कथित विशिष्ट जनों पर बलात्कार,महिला यौन उत्पीड़न व महिलाओं के शोषण के आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में दोहरा चरित्र दर्शाने वाले ऐसे तमाम लोग बेनक़ाब हो चुके हैं और अब भी होते आ रहे हैं जो बातें तो पुरुषों से महिलाओं की बराबरी की करते हैं,अपने ‘प्रवचनों ‘ में महिला सम्मान की डींगें हांकते हैं, महिलाओं को देवी तुल्य बताते फिरते हैं और स्वयं ही महिलाओं का शारीरिक शोषण व बलात्कार भी करते फिरते हैं। आश्चर्य तो यह है कि उस सरकार से जुड़े प्रभावशाली लोग जोकि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ‘ जैसी योजना पर सैकड़ों करोड़ रूपये ख़र्च कर इस योजना का ढिंढोरा पीटती फिर रही है उसी सत्ता के संवैधानिक पदों पर बैठे लोग बेटियों का ही यौन उत्पीड़न करते फिर रहे हैं। और वह भी उन बेटियों का जो देश के लिये पदक जीत कर लाती हैं और राष्ट्रीय ध्वज का विश्व में मान बढ़ाती हैं?
भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले बाहुबली सांसद एवं भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा देश की अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता महिला पहलवानों के साथ कथित तौर पर किये गये यौन उत्पीड़न का मामला एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। दबंग छवि वाले बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह पहली बार 1991 में लोकसभा के लिए चुने गये थे उसके बाद वे 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी अर्थात छः बार क़ैसर गंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित होते रहे। बृजभूषण शरण सिंह 1992 में अयोध्या में गिराए गये विवादित ढांचे के 40 आरोपियों में भी एक थे। यह वही दबंग छवि वाले हिंदूवादी पहलवान हैं जिन्होंने 5 जून 2022 को मनसे नेता राज ठाकरे के प्रस्तावित अयोध्या दौरे का ज़बरदस्त विरोध करते हुये राज ठाकरे को चेतावनी दी थी कि वे महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों का अपमान करने वाले राज ठाकरे को लखनऊ एअरपोर्ट से आगे नहीं जाने देंगे। उनका कहना था कि राज ठाकरे को अयोध्या आना है तो पहले उन्हें उत्तर भारतीय समाज से माफ़ी मांगनी होगी। इसके बाद ही उन्हें रामलला का दर्शन करने दिया जायेगा। और यह मामला इतना तूल पकड़ा था कि राज ठाकरे को इन्हीं विवादों के चलते अपनी अयोध्या की प्रस्तावित यात्रा स्थगित तक करनी पड़ी थी। अयोध्या के महंत रामचंद्र परमहंस, नृत्य गोपाल दास, हनुमान गढ़ी के स्वामी धर्म दास व लालकृष्ण आडवाणी जैसे संतों व नेताओं के भी यह बेहद क़रीबी रहे। वे एक बार भाजपा छोड़ समाजवादी पार्टी में भी शामिल हुये थे। 2009 का लोकसभा चुनाव वे समाजवादी पार्टी से क़ैसरगंज सीट से ही विजयी हुये थे। लेकिन सपा में उनके वैचारिक मतभेद शुरू हो गए और वह दोबारा बीजेपी में वापस शामिल हो गए। अयोध्या के अखाड़ों के पहलवान के रूप में भी वे स्वयं को ‘शक्तिशाली’ कहा करते थे। दबंग छवि वाले सांसद बृज भूषण शरण सिंह बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या और श्रावस्ती के 50 से अधिक शिक्षण संस्थानों से भी जुड़े हुए हैं। ये अपने अनेक विवादित बयानों को लेकर भी सुर्ख़ियां बटोरते रहे हैं। बृज भूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण भी राजनीति में सक्रिय हैं तथा इस समय वे भी गोंडा से भाजपा विधायक हैं।
वैसे तो दस महिला कुश्ती पहलवानों के साथ इसी ‘शक्तिशाली’ कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप हैं जिनमें एक नाबालिग़ पदक विजेता भी शामिल है। परन्तु इनमें से सात महिला पहलवानों ने बृज भूषण के विरुद्ध दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करने का प्रयास किया था। परन्तु आरोपी के ऊँचे रूसूक़ के कारण दिल्ली पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इंकार कर दिया था। उसके बाद इन पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की और साथ ही इन आरोपों की जांच को लेकर एक बार फिर जंतर-मंतर पर धरना भी शुरू कर दिया। गत दिनों पहलवानों की इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों के आरोप बेहद गंभीर हैं। चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूढ़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस कोर्ट को इस मामले पर विचार करने की ज़रूरत है। दबंग आरोपी को प्राप्त सत्ता संरक्षण के मद्देनज़र ही धरने पर बैठे पहलवानों ने विपक्षी दलों से भी मदद की गुहार लगाई है। कांग्रेस सहित कई दल पहलवानों के साथ खड़े भी हो चुके हैं।
परन्तु इस पूरे घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है कि जब धर्म और सत्ता क्षेत्र में ऊँचे पदों पर बैठे ऐसे लोग जिनसे कि रक्षा और संरक्षण की उम्मीद की जानी चाहिये जब वही अपने ही अधीनस्थ या अपने संरक्षण में रह रही कन्याओं व महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने लगें तो आम लोगों से क्या उम्मीद की जा सकती है? ऐसे दुराचारी लोग स्वाभाविक रूप से ही दुश्चरित्र होते हैं। लिहाज़ा यह तो चंद बहादुर महिलाएं थीं जिन्होंने इस दबंग दुराचारी को बेनक़ाब कर इसके कथित हिंदूवादी होने तथा इसके ‘उत्तर भारतीय प्रेम ‘ के दिखावे का भंडाफोड़ कर दिया है। सोचा जा सकता है कि जिन 50 से अधिक शिक्षण संस्थानों से यह ‘माननीय ‘ बाहुबली जुड़ा हुआ है वहां की बच्चियां या अध्यापिकायें इसकी हवस से कितनी सुरक्षित होंगी? दरअसल ऐसे दुष्कर्मियों के घरों पर बुलडोज़र चलाने और इनका नार्को टेस्ट कराने की ज़रुरत है ताकि दुष्कर्मियों को सबक़ मिल सके। यह और इसतरह के तमाम सत्ता के चहेते दुष्कर्मियों को संरक्षण देना यह सवाल तो ज़रूर खड़ा करता है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाये फिर आख़िर बेटियों की रक्षा कौन करे और कैसे करे।