भाजपा के सभी ‘सीएम इन वेटिंग’ के सामने चुनौती, चुनाव जीतो और जिताओ

भोपाल । सोमवार को दिन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल में कार्यकर्ता महाकुंभ में विजय संकल्प दिलाने के साथ ही कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला तो रात्रि में दिल्ली से भारी-भरकम चेहरों के साथ भाजपा ने 39 प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी कर दी, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतारा गया है।

कांग्रेस की चौतरफा घेराबंदी

पार्टी की ओर से कांग्रेस की चौतरफा घेराबंदी की गई है। पार्टी ने इस सूची में ऐसा विजयी दांव चला कि मुख्यमंत्री पद के सारे दावेदारों (सीएम इन वेटिंग) को विधानसभा चुनाव में उतार कर साफ संदेश दे दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्र संभालें, चुनाव जीतें और जिताएं भी।

सभी अपने गढ़ में हैं क्षत्रप

जिन केंद्रीय मंत्रियों एवं बड़े नेताओं को विधानसभा चुनाव में उतारा गया है, वे सभी अपने-अपने गढ़ के क्षत्रप हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (ग्वालियर-चंबल), प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह (महाकोशल), राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (मालवांचल) शामिल हैं।

नहीं किया मुख्‍यमंत्री का चेहरा घोष‍ित

भाजपा इस बार मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ रही है। प्रत्याशी घोषित किए गए इन सभी बड़े चेहरों को मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल माना जाता है। अन्य सांसदों में गणेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक का नाम भी दूसरी सूची में आया है। छह महिलाओं को भी टिकट दिया गया है।

विधानसभा के साथ लोकसभा चुनाव की भी कवायद

भाजपा की दूसरी सूची में केंद्रीय मंत्रियों सहित कुल सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारने के पीछे भाजपा की लोकसभा चुनाव की तैयारियों की झलक भी दिखाई पड़ रही है। पार्टी ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं। जिन सात सांसदों को टिकट दिया गया है, वे विधानसभा चुनाव जीते तो ठीक वरना उनकी सीट से नए चेहरों को अवसर दिया जा सकता है। संभावना यह है कि आने वाली सूची में कुछ अन्य सांसदों को भी विधानसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है।

आठ वर्ष बाद विजयवर्गीय की मप्र में वापसी

भाजपा ने दूसरी सूची में कई संदेश दिए हैं। कई सीटों पर नए उम्मीदवार देने के साथ तीन विधायकों के टिकट काट दिए हैं। अपने बयानों से भाजपा के लिए संकट खड़ा करते रहे मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी, आदिवासी पेशाब कांड से विवाद में आए केदार शुक्ल और जालम सिंह पटेल के टिकट काट दिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से प्रत्याशी बनाया गया है। दिमनी क्षेत्र तोमर की संसदीय सीट मुरैना में आता है। वह ग्वालियर से दो बार विधायक और तीन बार सांसद रह चुके हैं। इंदौर-एक सीट से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को प्रत्याशी बनाया गया है। छह बार लगातार विधायक रहे विजयवर्गीय 2015 से मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर हैं।पिछले चुनाव में उन्होंने अपने पुत्र आकाश विजयवर्गीय को इंदौर तीन से विधायक बनवा दिया था।

पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे राकेश सिंह

प्रहलाद सिंह पटेल को नरसिंहपुर से प्रत्याशी बनाया गया है। फिलहाल इस सीट से उनके भाई जालम सिंह पटेल विधायक हैं। पटेल पांच बार लोकसभा सदस्य रहे हैं। पांच बार के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास सीट से लड़ाया जाएगा। पहले इस सीट से उनके भाई राम प्यारे निवास विधानसभा का चुनाव हार गए थे। वरिष्ठ नेताओं में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को भी पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है। सिंह जबलपुर लोकसभा क्षेत्र से चार बार के सांसद हैं।

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