रेल हादसे का मूल कारण था इलेक्ट्रॉ‎निक इंटरलॉ‎किंग में बदलाव

बालासोर/भुवनेश्वर । बालासोर रेल हादसे का मूल कारण इलेक्ट्रॉ‎निक इंटरलॉ‎किंग में बदलाव था। इसके ‎लिए ‎जिम्मेदारों की पहचान कर ली गई है। यह बात केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार सुबह बालासोर ट्रेन दुर्घटनास्थल पर चल रहे मरम्मत कार्य का निरीक्षण करने के दौरान कही। इस दौरान रेल मंत्री ने कहा क‍ि कल प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए निर्देशों पर तेजी से काम चल रहा है। शनिवार रात एक ट्रैक का काम लगभग पूरा हो गया। आज दूसरे ट्रैक की पूरी मरम्मत करने की कोशिश रहेगी। सभी डिब्बों को हटा दिया गया है। शवों को निकाल लिया गया है। अब काम तेजी से चल रहा है। कोशिश है कि बुधवार की सुबह तक सामान्य रूट चालू हो जाए। साथ ही केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया क‍ि हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट मिल गई है। इतना भयानक हादसा कैसे हुआ, इस बात का पता चल गया है। इसका कवच से कोई लेना-देना नहीं है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण यह घटना हुई। रेलवे सेफ्टी कम‍िश्‍नर ने मामले की जांच की है। जांच रिपोर्ट आने दीजिए लेकिन हमने घटना के कारणों और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली है। यह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव के कारण हुआ। अभी हमारा फोकस ट्रेक बहाली पर अ‎धिक है।
इस समय ओडिशा के बालासोर में रेल ट्रैक बहाली का काम जोरों पर है। यहां शुक्रवार की रात तीन ट्रेनों के भीषण ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई और 1000 से अधिक घायल हो गए। बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन पर तीन अलग-अलग पटरियों पर तीन-तरफा दुर्घटना में बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी। दक्षिण पूर्व रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) आदित्य कुमार चौधरी ने कहा कि साइट पर बहाली का काम चल रहा है। कमजोर बोगियां हटा दी गई हैं। मालगाड़ी की दो बोगियां भी हटा दी गई हैं। एक तरफ से कनेक्टिंग ट्रैक का काम चल रहा है। जो जल्दी ही खत्म कर दिया जाएगा।
रेल मंत्रालय के अनुसार अधिकारी दुर्घटना स्थल पर बहाली प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। एक हजार से ज्यादा कर्मचारी काम में लगे हैं। मंत्रालय ने कहा कि 7 से अधिक पोकलेन मशीनें, 2 दुर्घटना राहत ट्रेनें और 3-4 रेलवे और रोड क्रेन तैनात किए गए हैं। सात राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें, पांच ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स (ओडीआरएएफ) इकाइयां और 24 अग्निशमन सेवाएं और आपातकालीन इकाइयां बचाव कार्यों में शामिल थीं। जल्दी ही ट्रेक बहाली हो जाएगी

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