देश की आर्थिक वृद्धि दर पहली तिमाही में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
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मुंबई. सकल मांग और गांवों में गैर-खाद्यान्न वस्तुओं पर खर्च बढ.ने के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.5 प्रतिशत रह सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मंगलवार को जारी मई बुलेटिन में यह कहा गया है.
बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करने वाली वैश्विक बाधाओं के बावजूद उल्लेखनीय मजबूती को दिखाया है.
इसमें कहा गया है, ”आर्थिक गतिविधि सूचकांक (ईएआई) के अनुसार, अप्रैल में गतिविधियों में तेजी आई और शुरुआती अनुमान बताते हैं कि 2024-25 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7.5 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है.” आर्थिक गतिविधि सूचकांक (ईएआई) का निर्माण ‘डायनेमिक फैक्टर मॉडल’ का उपयोग करके, आर्थिक गतिविधियों से जुड़े 27 महत्वपूर्ण (हाई फ्रीक्वेंसी) संकेतकों के सामान्य रुख को निकालकर किया गया.
फरवरी, 2020 में ईएआई को 100 रखा गया जबकि अप्रैल, 2020 में इसे शून्य कर दिया गया. इसका कारण अप्रैल महीना कोविड महामहारी के कारण आवाजाही पर प्रतिबंधों के कारण सबसे अधिक प्रभावित था. सरकार 31 मई को मार्च, 2024 को समाप्त तिमाही के लिए जीडीपी अनुमान और वर्ष 2023-24 के लिए राष्ट्रीय आय के अस्थायी अनुमान जारी करेगी. भारत की वृद्धि दर 2023-24 की जून तिमाही में 8.2 प्रतिशत, सितंबर तिमाही में 8.1 प्रतिशत और दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत रही थी.
लेख में कहा गया है कि जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे ‘हाई फ्रीक्वेंसी’ संकेतक अप्रैल, 2024 में घरेलू मांग की स्थिति में निरंतर गति का संकेत देते हैं. टोल संग्रह इस साल अप्रैल में सालाना आधार पर 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. दोपहिया और तिपहिया खंड में मजबूत वृद्धि के कारण अप्रैल, 2024 में वाहन की बिक्री में सालाना आधार पर 25.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम के लिखे लेख में कहा गया है, ”इस बात की उम्मीद बढ. रही है कि भारत बहुप्रतीक्षित आर्थिक उड़ान भरने की दहलीज पर है. हाल के संकेत यह बताते हैं कि सकल मांग बढ. रही है.” गैर-खाद्यान्न वस्तुओं पर खर्च से गांवों में व्यय में सुधार दिख रहा है. हेडलाइन (सकल) मुद्रास्फीति में इस साल अप्रैल में मामूली कमी आई. यह लक्ष्य के स्तर पर धीरे-धीरे पहुंचने की हमारी उम्मीदों के अनुरूप है.
ईंधन के दाम में नरमी और मुख्य मुद्रास्फीति के नीचे आने तथा ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंचने के बावजूद खाद्य श्रेणी में सब्जियों, अनाज, दाल, मांस और मछली की कीमतें निकट अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति को ऊंची और पांच प्रतिशत के करीब रख सकती हैं. यह अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अनुमान के अनुरूप है.
यह भी गौर करने लायक है कि घरेलू और व्यक्तिगत देखभाल से जुड़े उत्पादों की मजबूत मांग से एफएमसीजी वस्तुओं की मात्रा में वृद्धि 6.5 प्रतिशत रही. इस वृद्धि को 7.6 प्रतिशत की ग्रामीण वृद्धि से गति मिली. वहीं शहरी क्षेत्रों में वृद्धि 5.7 प्रतिशत थी. लेख में निजी निवेश के बारे में लिखा गया है कि सूचीबद्ध निजी विनिर्माण कंपनियों की कमाई 2023-24 की दूसरी छमाही में कोष का प्रमुख स्रोत बना रहा. सूचीबद्ध कंपनियों के अबतक घोषित वित्तीय परिणाम बताते हैं कि उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना और तिमाही आधार पर राजस्व में जो वृद्धि हासिल की, वह सर्वाधिक थी.
लेख में लिखा गया है कि हेडलाइन (सकल) मुद्रास्फीति में इस साल अप्रैल में मामूली कमी आई. यह हमारी उम्मीदों के अनुरूप है. ईंधन के दाम में नरमी और मुख्य मुद्रास्फीति के नीचे आने तथा ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंचने के बावजूद खाद्य श्रेणी में सब्जियों, अनाज, दाल, मांस और मछली की कीमतें निकट अवधि में खुदरा मुद्रास्फीति को ऊंची और पांच प्रतिशत के करीब रख सकती हैं. यह अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अनुमान के अनुरूप है. केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट किया है कि बुलेटिन में लिखी बातें लेखकों के विचार हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
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