सदन में दबाव की राजनीति: विपक्ष ने किया प्रश्नकाल का बहिष्कार

निलंबन समाप्त होने के बाद भी वापस नहीं आये कांग्रेस विधायक

रायपुर । ईडी की कार्रवाई का असर बजट सत्र के चौथे दिन सदन में देखने को मिला। कांग्रेस के विधायकों ने सदन में दबाव की राजनीति खेली। प्रश्नकाल प्रारंभ होते ही हंगामा मचाना शुरू कर दिया। स्पीकर की समझाइश और अनुरोध को भी कांग्रेस के विधायकों ने दरकिनार करते हुए हंगामा मचाने लगे और सीधे गर्भगृह पहुंच गए। स्वत: निलंबन की राजनीति भी की।

विधानसभाध्यक्ष डा सिंह आसंदी से खड़े होकर गर्भगृह में प्रवेश के बाद जैसा कि विधानसभा की परंपरा रही है स्वत:निलंबन की, स्मरण दिलाते हुए कांग्रेस के उन विधायकों के नाम पढ़े जिन्होंने गर्भगृह में प्रवेश किया था। नाम पढ़ने के बाद स्वत: निलंबित होने के कारण सदन से बाहर जाने की बात कही। कांग्रेस के विधायकों के सदन से बाहर जाते ही विधानसभाध्यक्ष ने स्वस्थ्य परंपरा के तहत उनके निलंबन समाप्ति की घोषणा भी कर दी। विधानसभाध्यक्ष के निलंबन समाप्ति की घोषणा के बाद भी विपक्ष के विधायकों ने प्रश्नकाल का बहिष्कार प्रारंभ रखा और सदन के भीतर नहीं आए।

बिना विपक्ष के हुआ प्रश्नकाल
कांग्रेस के विधायकों के सदन की कार्रवाई का बहिष्कार करने के कारण बिना विपक्ष के ही प्रश्नकाल को स्पीकर ने आगे बढ़ाया। बिल्हा के विधायक धरमलाल कौशिक आज सदन में उपस्थित नहीं थे। लिहाजा स्पीकर ने व्यवस्था देते हुए विधायक अजय चंद्राकर को विधायक कौशिक द्वारा लगाए गए सवाल पूछने आमंत्रित किया। विधायक अजय चंद्राकर ने साइबर क्राइम को लेकर सवाल पूछे। साइबर क्राइम को लेकर छग पुलिस के पास क्या विशेषज्ञता है,साइबर थाने खोलने की घोषणा हुई थी।कितने खोले गए हैं। गृह मंत्री विजय शर्मा ने सदन को बताया कि इस पर प्रभावी रोकथाम के लिए साइबर भवन का निर्माण किया गया है। चार दिसंबर 2024 को सीएम ने उद्घाटन किया है।

अजय चंद्राकर ने पूछा कि छग में साइबर स्पेशलिस्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मीडिया में लगातार सामने आ रहा है। पूर्व की घोषणाओं का हवाला देते हुए कहा कि पांचों रेंज में साइबर थाना खोलने की घोषणा हुई थी। इस पर मंत्री शर्मा ने बताया कि पांच रेंज में साइबर थाने है और 69 लोग कार्यरत हैं। 129 लोग प्रशिक्षित हुए हैं। पांच विशेषज्ञों को अटैच किया जाएगा। नियुक्ति नहीं की जाएगी।

गजब का संयोग
जैसे ही विधानसभाध्यक्ष डा रमन सिंह ने पंडरिया के विधायक भावना बोहरा का नाम लिया, विधायक बाेहरा ने कहा कि अध्यक्ष महोदय संयोग ऐसा कि पांच मिनट ही मिलता है इसलिए सीधे प्रश्न पर ही आ रही हूं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत एक साल में चार बार विभागीय प्रस्ताव आ चुका है निर्माण व मरम्मत को लेकर। विभाग इस बात को लेकर कितना गंभीर है। चार बार आने के बाद भी इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया। प्रदेश में 56 सड़कें स्वीकृत है।इसमें चार सड़कें पंडरिया में स्वीकृत है। वित्त की अनुमति के आधार पर ही होना है। विधायक ने कहा कि 35 जर्जर सड़कों की मरम्मत पांच साल बाद भी नहीं हो पा रहा है।

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